हिमालय संरक्षण के प्रयासों से लोगों को जोड़ने की जरूरत : रावत
हिमालय को बचाने के लिये किये जाने वाले प्रयासों से उस पर निर्भर लोगों को जोड़ने की वकालत करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि इसके लिये सामुदायिक चेतना जगानी होगी.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत (फाइल फोटो) |
\'हिमालय दिवस\' के अवसर पर देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रावत ने कहा, \'\'यदि हिमालय को बचाना है तो हमें अपने प्रयासों से उन्हें भी जोड़ना होगा जिनका जीवन हिमालय पर आधारित है.\'\'
गौरतलब है कि कुछ साल पहले हिमालय संरक्षण के प्रयासों में लगी यहां की एक स्वयंसेवी संस्था \'हैस्को\' और उसके संस्थापक डॉ. अनिल जोशी ने सर्वप्रथम नौ सितंबर को हिमालय दिवस मनाने की शुरूआत की थी. अब राज्य सरकार ने भी इसके महत्व को देखते हुए अपने स्तर से प्रयास शुरू किये हैं.
रावत ने कहा कि हिमालय के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. हिमालय दिवस हमसे समर्पण और समझ की अपेक्षा करता है. इस संबंध में उन्होंने प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का भी जिक्र किया और कहा कि वह लोगों के लिये एक बड़ी प्रेरणा हैं.
हालांकि, उन्होंने कहा कि सिर्फ सरकारी प्रयासों से हिमालय की रक्षा नहीं की जा सकती है. इसके लिये जन-भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी और व्यक्तिगत प्रयासों को भी शामिल करना होगा. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सीमित संसाधनों के होते हुए भी देश व पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है.
रावत ने कहा कि उत्तराखंड पहला राज्य है जो पेड़ लगाने पर बोनस दे रहा है और जल संरक्षण के प्रयासों को भी गति दे रहा है. उन्होंने इस संबंध में राज्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये संसाधन उपलब्ध करवाने में देश को भी आगे आने की जरूरत बतायी.
इससे पहले, हिमालय दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को हिमालय संरक्षण की शपथ भी दिलायी तथा उनसे पर्वतीय क्षेत्रों के एक-दो गांवों को गोद लेने को भी कहा.
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