दो से स्टिंग पर सीधा संवाद करेंगे हरीश

Last Updated 28 Jun 2016 05:49:57 AM IST

स्टिंग मुद्दे पर घिरे नजर आ रहे मुख्यमंत्री हरीश रावत कथित स्टिंग को ही भाजपा और केंद्र सरकार को घेरने का औजार बनाएंगे.


दो से स्टिंग पर सीधा संवाद करेंगे हरीश

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भाषणों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एक राष्ट्रीय अध्यक्ष केवल स्टिंग तक रह गया. मैं तो आज भी कह रहा हूं कि कथित स्टिंग व सीडी में जितने भी पात्रों के नाम आए हैं, सीबीआई उन सभी की जांच करे.

यही सीबीआई की निष्पक्षता का तकाजा होगा.’ उन्होंने कहा कि वह कथित स्टिंग पर ओपन डायलॉग की प्रक्रिया प्रारंभ करेंगे. इसकी शुरूआत दो जुलाई को देहरादून से होगी. बाद में राज्य के अन्य स्थानों पर जनता से इस पर सीधा संवाद किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आखिर यह भी सामने आना चाहिए कि आम जनता स्टिंग के बारे में क्या सोचती है और वह कहां पर कानून का उल्लंघन कर रहे हैं. भाजपा के पेट में स्टिंग के मरोड़े उठ रहे हैं, जिसका इलाज जरूरी है. भाजपा के भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वे एक भी मामला बता दें जिसमें हमारी वित्तीय संलिप्तता बनती हो. घोटालों के आरोप दोनों ओर से लगे हैं. अगर भाजपा चाहे तो उच्च न्यायालय से इन सभी की स्वतंत्र न्यायिक जांच का अनुरोध किया जा सकता है.

सोमवार को बीजापुर गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का उत्तराखंड दौरा केवल गाली-गलौज और आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित रह गया. ऐसा लगता है कि अमित शाह का पूरा कार्यक्रम  2017 के चुनावी फोबिया से ग्रस्त था. प्रदेश सरकार ने उनके उत्तराखंड आगमन का स्वागत किया था और सरकार चाहती है कि राष्ट्रीय स्तर के नेता उत्तराखंड में आएं और उत्तराखंड  की समस्याओं व तकलीफों को समझें.

पर अफसोस की बात है कि न तो अमित शाह के भाषणों में और न ही उनकी राज्य कार्यकारिणी की बैठक में राज्य के बुनियादी मुद्दों की झलक दिखाई दी. इन पर अमित शाह ने एक शब्द तक नहीं कहा.  केंद्र में उनकी सरकार है. केंद्र के सामने लम्बित राज्य के मुद्दों को हम बार बार उठाते रहे हैं. वह राज्य हित में वे कुछ बातें तो कर ही सकते थे. वे फडिंग पैटर्न में बदलाव से उत्तराखंड को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति कर सकते थे. वाह्य सहायतित योजनाओं में 90:10 का अनुपात किया जा सकता था, एसपीए में स्वीकृत कई सौ करोड़ की राशि अभी तक अवमुक्त नहीं हुई है.

आपदा पर कैबिनेट कमेटी ऑन उत्तराखंड ने जो संस्तुतियां की थीं उस पर वर्तमान केंद्र सरकार ने कोई रोडमैप तक नहीं दिया है. ग्रीन बोनस व विद्युत परियोजनाओं पर भी उनका रूख सकारात्मक नहीं रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राज्य के बजट का सवाल उठाया था कि किस तरह से बजट को लेकर राज्य के योजनागत विकास को पटरी से उतारा जा रहा है. इसी से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है. हम इन कोशिशों का पर्दाफाश करेंगे. हरिद्वार व हल्द्वानी के मंचों का प्रयोग केवल राज्य सरकार को कोसने के लिए किया गया. इसमें राज्य के बुनियादी सवालों की अनदेखी की गई.

सहारा न्यूज ब्यूरो


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