उत्तराखंड में थमा नहीं है आग का कहर
उत्तराखंड मे गढवाल के जंगलो में भडकी आग से कुमाऊं तक फैला करीब तीन हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र अभी भी धधक रहा है. आग ने पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश की आबोहवा को भी प्रभावित किया है.
उत्तराखंड में थमा नहीं है आग का कहर |
केंद्र और राज्य सरकारें यूं तो 90 फीसदी दावाग्नि को बुझाने का दावा कर रही हैं मगर हजारों हेक्टेयर क्षेत्रफल में जस तस सुलगते पेड और धुएं का गुबार सरकारी दावे से जुदा तस्वीर बयां कर रहे हैं. दावानल से नैनीताल और पौड़ी जिले सर्वाधिक प्रभावित हैं. चारधाम यात्रा शुरू होने से ठीक पहले लगी आग ने यात्रा की सफलता पर सवालिया निशान लगा दिया है.
इस दावानल के मद्देनजर उत्तर प्रदेश के वन विभाग ने सूबे के सीमावर्ती इलाकों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है. भीषण आग की वजह से जंगली जानवरों की भी राज्य में घुसपैठ की आशंका है. जंगल में फैली आग के चलते भूख प्यास से व्याकुल जानवर भटककर आवासीय क्षेत्रों की ओर आ रहे है. वन विभाग ने आग के फैलने के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था के कडे कदम पहले से उठाये है.
आग पर काबू पाने के लिये राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा कार्रवाई बल (एसडीआरएफ) युद्धस्तर पर प्रयास कर रहे हैं. थल और वायुसेना की भी मदद ली जा रही है. कुमायूं में हेलीकाप्टर के जरिये भीमताल झील से पानी लेकर नैनीताल जिले के जंगलों में लगी आग को बुझाने के प्रयास किये जा रहे हैं.
गढवाल परिक्षेत्र में वायुसेना पौड़ी जिले के जंगलों की आग बुझाने में लगी है. आग प्रभावित क्षेत्र में बिजली और संचार सेवाओं लगभग ध्वस्त हो चुकी है. आग की विकरालता का अंदाजा यूं लगाया जा सकता है कि इसकी लपटों से हाईटेंशन और एलटी लाईनें पिघलने लगी हैं, वहीं कई इलाकों में आप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) जल जाने से संचार सेवाएं ठप्प हो गई हैं.
विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व भी आग की चपेट में है, हालांकि विभागीय अधिकारियों की तत्परता के चलते आग बुझा दी गई और डिपो में रखी करोड़ों रूपयों की बेशकीमती लकड़ी स्वाहा होने से बच गई.
गौरतलब है कि कार्बेट टाइगर रिजर्व का बिजरानी क्षेत्र, तराई पश्चिम वन प्रभाग और पवलगढ रिजर्व के जंगलों में आग से अभी तक करोड़ों की वन सम्पदा जलकर खाक हो चुकी है. दावाग्नि के कारण वन्य जीवों और कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों पर भी खतरा मंडरा रहा है.
उधर वन विभाग और पुलिस ने मिलकर जंगल में आग लगाने वालों की धर पकड़ तेज कर दी है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस कड़ी में पौड़ी, टिहरी, पिथौरागढ एवं नैनीताल जिलों में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जान बूझकर आग लगाने के कई मामले राज्य में दर्ज हुए हैं, जिनमें वन अधिनियम के तहत कार्यवाही की जायेगी. केन्द्र सरकार भी उत्तराखण्ड के जंगलों में लगी आग पर नजर रखे हुए है. केन्द्रीय टीम ने गढवाल मण्डल के पौड़ी एवं टिहरी जिलों में फैली आग का जायजा लिया.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में अब तक 1470 आग की घटनाओं मे 3185 हेक्टेयर वन क्षेत्र बर्बाद हो चुका है. उधर, पिथौरागढ जिले के जंगलों पर लगी आग पर काबू पाना टेड़ी खीर साबित हो रहा है. एसडीआरएफ, आपदा प्रबंधन विभाग के साथ ही स्थानीय लोग भी आग बुझाने में जुटे हुए हैं. पिथौरागढ के जिला कलेक्टर ने सेना एवं वायु सेना की मदद मांगी है. अलमोड़ा जिले के कुछ क्षेत्रों में आग धधक रही है. बागेर जिले में कई हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ गये हैं.
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उत्तराखण्ड के जंगलों पर भड़की आग पर चिंता जताते हुए उत्तराखंड के राज्यपाल को पत्र लिखा है. राज्यपाल के के पॉल ने दूरभाष पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जंगल में आग के नियंत्रण के लिए चलाये जा रहे सरकार के प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. पाल ने जनता के नाम संदेश जारी कर जंगलों को आग से बचाने के लिए जनता के सहयोग की अपील की.
ज्ञातव्य है कि उत्तराखण्ड के जंगलों में बीते कुछ वर्षों में सबसे भीषण आग लगी है. अब तक प्रदेश में 3185 हेक्टेयर जंगल वनाग्नि के चपेट में आकर खाक हो चुके हैं. इससे पहले वर्ष 2012 में भी कई हजार हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ गये थे.
इस बीच नैनीताल उच्च न्यायालय ने जंगलों की आग को संज्ञान में लेते हुए केन्द्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति के एम जोजफ और न्यायमूर्ति यू सी ध्यानी की संयुक्त पीठ ने मामले की अगली सुनवाई नौ मई को तय की है.
उधर, बिजनौर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार वन विभाग ने पडोसी राज्य में लगी आग के मद्देनजर एहतियात के तौर पर सुरक्षा कडी कर दी है. आग से बिजनौर का कुछ हिस्सा चपेट में आया था मगर वन विभाग की सतर्कता के चलते उस पर काबू पा लिया गया.
नजीमाबाद के वनाधिकारी प्रवीण राघव ने बताया कि इस साल बारिश कम हुई है. पेडों से गिरने वाली पत्तिया सूख कर वैसी ही पडी रही जिसमे आग लगते ही पूरे जंगल में फैल गयी. आग से बिजनौर और नजीमाबाद के कौडिया, शाहूवाला और अमरगढ के जगल भीषण आग की चपेट में आ गये थे.
वन विभाग के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि बिजनौर के जंगलों में इस समय कही आग लगने की सूचना नहीं है. पडोसी राज्य में आग की विभीषिका को देखते हुए हाई अलर्ट जारी किया गया है. विभाग इससे निबटने के लिये पूरी नजर रखे है. इसके लिये एक कंट्रोल रूप स्थापित किया गया है और स्थानीय लोगों को चौकन्ना कर दिया गया है.
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