उत्तराखंड में प्रदेश को अग्नि आपदा पीड़ित राज्य घोषित किया जाए : हरीश

Last Updated 29 Apr 2016 01:41:54 PM IST

हरीश रावत ने राज्य के जंगलों में लग रही आग के मद्देनजर उत्तराखंड को अग्नि आपदा पीड़ित राज्य घोषित करने की मांग की है.


(फाइल फोटो)

उन्होंने इस बाबत राज्यपाल डा. कृष्णकांत पॉल को एक पत्र भी भेजा है. बृहस्पतिवार को बीजापुर गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में हरीश रावत ने कहा कि यदि इसी तरह जंगलों में आग धधकती रही तो राज्य के जंगल वर्षो तक उबर नहीं पांएगे, इससें प्रदेश के जंगलों में स्थित जल स्रेत भी आग की चपेट में आकर प्रदूषित हो रहे हैं.

जल पर निर्भर रहने वाले प्राणियों के लिए भी यह एक बहुत बड़ा खतरा है. उन्होने कहा कि दावाग्नि में मरने वालों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, अत: इस स्थिति को अग्नि-आपदा मानकर इसका तत्काल मुकाबला करने की रणनीति अमल में लाई जानी चाहिए.

जंगलों की आग को असामान्य स्थिति मानते हुए उन्होंने राज्यपाल को छह सुझाव भी दिए हैं. हरीश रावत ने हाल ही में सूखाग्रस्त क्षेत्रों के सव्रे के कार्य में केवल पांच जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने पर भी असंतोष व्यक्त किया.

उन्होंने कहा कि तमाम वर्षा आधारित व असिंचित भूमि को सूखाग्रस्त घोषित किया जाना चाहिए, उन्होंने केन्द्र सरकार पर यह आरोप भी मढ़ा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में वर्तमान में गंभीर सूखे की स्थिति होने के बावजूद पिछले दो वर्षो में केंद्र सरकार के स्तर पर जल प्रबन्धन पर कोई प्रभावी नीति नहीं बन पाई है.

रावत ने कहा कि जब वे केंद्र में जल संसाधन मंत्री थे तो उन्होने बुन्देलखंड़ में केन व बेतवा नदी को लिंक करने के लिए योजना लगभग बना दी थी जो लागू होनी थी, इसी प्रकार उन्होने राज्य चाल-खाल, गाद-गदेरों को भी पुनर्जीवित करने की विभिन्न योजनाओं को मंजूर किया था, परन्तु केंद्र सरकार से बजट न मिल पाने के कारण इस दिशा में अभी और काम होना बाकी है.

उन्होंने यह भी कहा कि उनके जलस्रेतों के पुनर्जीवन के काम को अब केंद्र सरकार भी स्वीकार कर रही है लेकिन बजट आना शेष है.



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