उत्तराखंड में लोकायुक्त के लिए जनहित याचिका
उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिये जनहित याचिका दायर करने वाले व्यक्ति से आज राज्य के 2011 के लोकायुक्त कानून की प्रति मांगी.
उत्तराखंड में लोकायुक्त के लिए जनहित याचिका |
प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय से कहा कि दो सप्ताह के भीतर उत्तराखंड लोकायुक्त कानून की प्रति पेश की जाये.
न्यायलय ने आज इस याचिका पर नोटिस जारी नहीं किया. पीठ ने सुनवाई स्थगित करते हुए उपाध्याय से कहा, ‘‘यह तो विधेयक है, कानून (उत्तराखंड कानून 2011) कहां है.’
उपाध्याय ने याचिका में कहा गया है कि यह ‘‘सबसे अच्छा और प्रभावी’ कानून है जिसे 2011 में विधानसभा ने ‘‘सर्वसम्मति से पारित’ किया था। याचिका में कहा गया है कि यह याचिका उत्तराखंड लोकायुक्त कानून 2011 लागू कराने के लिए दायर की गयी है.
उत्तराखंड में 2013 से कोई लोकायुक्त नहीं है जबकि भ्रष्टाचार से संबंधित 700 से अधिक शिकायतें लंबित हैं. उत्तराखंड लोकायुक्त कानून के दायरे में मुख्यमंत्री, सभी मंत्री, सभी विधायक और सारे सरकारी कर्मचारी आते हैं. इस कानून में उम्र कैद तक की सजा और संपत्ति जब्त करने का प्रावधान है.
याचिका के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक और सेवानिवृत्त कर्मचारी भी इसके दायरे में आते हैं. याचिका में कहा गया है कि इस कानून के प्रावधान के अनुसार सरकार को 180 दिन के भीतर इसे लागू करना चाहिए परंतु लोकायुक्त नियुक्त करने की बजाये सरकार ने नया विधेयक पारित कर दिया.
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