भगवान मद्महेश्वर के कपाट भी बंद

Last Updated 25 Nov 2015 06:22:02 AM IST

मध्य हिमालय में बसे द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये गये हैं.


रुद्रप्रयाग : कपाट बंद होने के बाद ओंकारेर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती भगवान मद्महेश्वर की डोली.

भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंच गई. शीतकाल में छह माह तक भगवान शंकर की पूजा-अर्चना ओंकारेर मंदिर ऊखीमठ में होगी.

मंगलवार को मंदिर के पुजारी बागेश लिंग ने तड़के तीन बजे भगवान शंकर का महाभिषेक पूजन किया. श्रद्वालुओं ने भगवान मद्महेश्वर की पूजा-अर्चना कर जलाभिषेक किया. इसके बाद भगवान के स्वयंभू लिंग का पंचामृत स्नान कर घी, ब्रह्मकमल, भस्म, धान, फल-फूल, केशरी वस्त्रों सहित अनेक पूजार्थ सामाग्रियों से समाधि दी गयी. इसी बीच भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को सजाकर पूजा-अर्चना की गयी. तत्पश्चात भोग लगाया गया.

भगवान मद्महेश्वर की डोली के मन्दिर से बाहर आते ही वहां मौजूद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पुष्प वष्रा की. विग्रह डोली के साथ अन्य देवी-देवताओं के निशाणों ने मद्महेश्वर मन्दिर की तीन बार परिक्रमा की. ठीक नौ बजे कर बीस मिनट पर तुला लग्न में भगवान मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये.  इस मौके पर केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती,  केदार लिंग सहित स्थानीय हक हकूकधारी, व्यापारी, पुलिस प्रशासन, वन विभाग, मन्दिर समिति के पदाधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे.

बागेश लिंग ने खोया आपा

द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट बंद होने से पूर्व मद्महेश्वर धाम के पुजारी बागेश लिंग आपा खो बैठे तथा स्थानीय हक-हकूकधारियों के साथ अभद्रता करने लगे. साध्वी उमा भारती के बीच-बचाव के कारण मामला शांत हो पाया, जिससे धाम के कपाट निर्धारित समय के दो घंटे बाद बंद हुए.

प्रधान पुजारी बागेश लिंग का विवादों से शुरू से ही नाता रहा है. कपाट खुलते समय भी प्रधान पुजारी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था.

उमा भारती ने लिया भाग

केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री साध्वी उमा भारती ने द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर में पूजा-अर्चना कर मत्था टेका. साध्वी उमा भारती सोमवार को दोपहर बारह बजे रांसी पहुंची और मां राकेरी के दर्शन किये. तत्पश्चात एक बजे द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर धाम के लिए रवाना हुई.

उन्होंने सांय सात बजे मद्महेश्वर धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना की. मंगलवार प्रात: बूढ़ा मद्महेश्वर के दर्शन कर भगवान मद्महेश्वर की डोली के साथ शीतकालीन गद्दी स्थल के लिये रवाना हुई.

 



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