बदरीनाथ धाम के कपाट बंद, चारधाम यात्रा का समापन

Last Updated 17 Nov 2015 09:43:47 PM IST

उत्तराखंड में हिमालय की उंची पहाडियों पर स्थित विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार को शीतकाल के लिये बंद कर दिये गये.


विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम

इसी के  साथ इस वर्ष की गढ़वाल हिमालय की चारधाम यात्रा का समापन भी हो गया.

बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के विशेष कार्याधिकारी बीडी सिंह ने दूरभाष पर जानकारी देते हुए बताया कि चमोली जिले में दस हजार फीट से ज्यादा की उंचाई पर स्थित भगवान विष्णु को समर्पित बदरीनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के बीच परंपरागत पूजा अर्चना के बाद शाम 4;35 बजे श्रद्धालुयों के लिये बंद कर दिये गये.

उन्होंने बताया कि पीले गेंदे के फूलों से सजाये गये मंदिर में मुख्य पुजारी रावल द्वारा विशेष पूजा अर्चना करने और कपाट बंद करने के समारोह के दौरान मंदिर समिति के अध्यक्ष गणोश गोदियाल, धर्माधिकारी और प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा मंदिर परिसर में करीब आठ हजार श्रद्धालुओं भी मौजूद रहे. 

कपाट बंद होने के बाद भगवान विष्णु की डोली उनके शीतकालीन प्रवास जोशीमठ के लिये रवाना कर दी गयी जहां अगले छह माह श्रद्घालु उनके दर्शन कर सकेंगे.

बदरीनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही देश विदेश से लाखों श्रद्धालुयों और पर्यटकों को आकर्षित करने वाली गढवाल हिमालय की वाषिर्क चारधाम यात्रा का भी मंगलवार को समापन हो गया.गौरतलब है कि तीन अन्य धामों, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिये पहले ही बंद हो चुके हैं .

उत्तरकाशी जिले में स्थित मां गंगा के धाम गंगोत्री मंदिर के कपाट 12 नवंबर को दीवाली के अगले दिन अन्नकूट पर्व पर और उत्तरकाशी जिले में ही स्थित यमुनोत्री मंदिर तथा रूद्रप्रयाग जिले में स्थित भगवान शिव के धाम केदारनाथ के कपाट 13 नवंबर को भैया दूज के पर्व पर श्रद्धालुओं के लिये बंद किये गये थे .

चारों मंदिरों के कपाट बंद करने के बाद उनकी मूर्तियों को डोली में बैठाकर उनके शीतकालीन प्रवास स्थलों में ले जाया जाता है जहां इस दौरान उनकी पूजा होती है.बदरीनाथ का शीतकालीन प्रवास स्थल जोशीमठ में है जबकि मां गंगा का प्रवास स्थल मुखबा गांव में, मां यमुना का खरसाली में और भगवान केदारनाथ का प्रवास स्थल उखीमठ का ओमकारेर मंदिर है. 

हिमालय की चारधाम यात्रा के नाम से मशहूर इन मंदिरों के सर्दियों के दौरान भारी बर्फवारी की चपेट में रहने के कारण उनके कपाट शीतकाल के लिये अक्टूबर-नवंबर में बंद कर दिये जाते हैं जो अगले साल अप्रैल-मई में श्रद्धालुयों के लिये दोबारा खोल दिये जाते हैं .

छह माह के यात्रा सीजन के दौरान देश विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इन धामों के दर्शन के लिये पहुंचते हैं और इसे गढ़वाल क्षेत्र की आर्थिकी की रीढ माना जाता है .




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