उत्तराखंड ने केंद्र से फिर मांगा विशेष राज्य का दर्जा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर से केंद्र के समक्ष राज्य को विशेष दर्जा की मांग उठाई.
केंद्र से फिर मांगा विशेष राज्य का दर्जा (फाइल फोटो) |
देहरादून में मुख्यमंत्री ने केंद्र से राज्य को सुविधायें देने और 14वें वित्त आयोग द्वारा राज्य के संदर्भ में की गई संस्तुतियां को लागू करने की मांग की है.
उन्होंने अर्धकुम्भ मेले के सफल आयोजन के लिए 500 करोड़ की विशेष सहायता भी शीघ्र जारी करने का अनुरोध किया. सोमवार को नई दिल्ली में मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से भेंट कर उन्हें जनवरी से अप्रैल 2016 के बीच आयोजित होने वाले अर्धकुम्भ मेले की जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि मेले में देश व विदेश से सात से आठ करोड़ तीर्थ यात्रियों के आने की संभावना है. उत्तराखंड सरकार मेले को सुरक्षित एवं दुर्घटनामुक्त आयोजित कराने के लिए प्रयासरत है. इसके लिए 500 करोड़ के प्रस्तावित बजट में से 325 करोड़ रुपये स्थायी प्रकृति के आधारभूत संरचनाओं पर खर्च किये जा रहे हैं.
राज्य सरकार द्वारा अपने उपलब्ध संसाधनों में से लगभग 210 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पहले से ही अनुमोदित की जा चुकी हैं तथा इन पर कार्य भी शुरू हो चुका है. शेष परियोजनाएं अनुमोदित की जा रही हैं.
उन्होंने वित्त मंत्री से अनुरोध किया है कि केन्द्रीय सहायता के 500 करोड़ रुपये शीघ्र जारी किए जाएं ताकि अर्धकुम्भ मेले से संबंधित सभी स्थायी व अस्थायी निर्माण कार्य दिसम्बर 2015 तक पूरे किये जा सकें.
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री का ध्यान इस ओर भी दिलाया कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अंतर्गत फंडिंग पैटर्न में बदलाव के कारण राज्य की वित्तीय स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा है.
उत्तराखंड भौगोलिक रूप से आपदा से प्रभावित होने वाला अति संवेदनशील राज्य है, जहां आधारभूत संरचनाओं की कमी है और इसकी लम्बी अंतर्राष्ट्रीय सीमा होने के कारण यह सामरिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. राज्य में व्यापक वनाच्छादित क्षेत्र होने के कारण यह पर्यावरणीय रूप से भी अति संवेदनशील है. उपरोक्त बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए पूर्व में केन्द्रीय सरकार ने इसे विशेष राज्य का दर्जा दिया था. परन्तु 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार विशेष श्रेणी के राज्य तथा सामान्य श्रेणी के राज्य के अन्तर को हटा दिया गया है जिसके कारण उत्तराखंड को सामान्य योजना सहायता (एनसीए), विशेष योजना सहायता (एसपीए) तथा विशेष केन्द्रीय सहायता (एससीए) से वंचित रहना पड़ रहा है.
उपरोक्त परिवर्तनों के कारण उत्तराखंड को एनसीए के अंतर्गत 1530 करोड़ रुपये, एससीए के अंतर्गत 700 करोड़ रुपये तथा एसपीए के अंतर्गत 350 करोड़ रुपये की हानि वर्ष 2014-15 के मूल्यों पर हो रही है. उत्तराखंड को 3800 करोड़ रुपये सीएसटी क्षतिपूर्ति के अंतर्गत प्राप्त होने हैं, परन्तु यह धनराशि भी अब तक प्राप्त नहीं हो पाई है.
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्तमंत्री को अवगत कराया कि14वें वित्त आयोग के बाद प्रदेश को सीएसएस, एनसीए, एसपीए के तहत तकरीबरन 2400 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जिसे केन्द्र सरकार 1600 करोड़ रुपये ही मान रही है.
उन्होंने कहा कि बहुत सी केन्द्र पोषित योजनाएं समाप्त करने तथा अति महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में मिलने वाले अनुदान को भी काफी कम कर दिया गया है.
उन्होंने इस योजना को पुनस्र्थापित करने पर भी बल दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्त मंत्री के साथ राज्य से जुड़े विभिन्न विषयों पर सकारात्मक रूप से चर्चा हुई, जिसका फायदा राज्य को मिलेगा. वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री के साथ मुख्य सचिव राकेश शर्मा भी उपस्थित थे.
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