फिर क्लीन चिट लेने के प्रयास में सरकार : अजय भट्ट

Last Updated 31 Jul 2015 07:22:19 PM IST

आपदा घोटाले की तरह स्टिंग आपरेशन में भी उत्तराखंड की कांग्रेस की सरकार क्लीन चिट लेने के प्रयास में है.


फिर क्लीन चिट लेने के प्रयास में सरकार (फाइल फोटो)

इसलिये राज्य सरकार ने स्टिंग आपरेशन की पड़ताल प्रमुख सचिव ओमप्रकाश को सौंपा है. पूरा प्रदेश जानता है कि ओमप्रकाश मुख्यमंत्री के बेहद करीबी हैं और मुख्यमंत्री जैसा चाहेंगे वैसी ही रिपोर्ट ओम प्रकाश पेश करेंगे, ताकि सरकार की छवि साफ-सुथरी दिखे.

मुख्य सचिव एन. रविशंकर आपदा घोटाले में सरकार को क्लीन चिट पहले ही दे चुके हैं. नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने बृहस्पतिवार को यह बात कही.

अजय भट्ट ने कहा कि सरकार ने आबकारी सचिव मोहम्मद शाहिद के स्टिंग आपरेशन की जांच प्रमुख सचिव ओम प्रकाश को देकर साबित कर दिया कि हर हाल में इस अधिकारी को बचा कर मामले में लीपापोती कराना चाहती है क्योंकि उसे पता है कि यदि इस प्रकरण की जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी या सीबीआई से करायी जायेगी तो सरकार का इस मामले में फंसना तय है.

उन्होंने कहा कि इस प्रकरण का भी वही हश्र होगा जो आपदा घोटाले की जांच का हुआ है. उन्होंने सवाल किया कि शासन के एक सचिव के प्रकरण की जांच प्रमुख सचिव को देकर सरकार क्या साबित करना चाहती है. शासन में बैठे अधिकारी सरकार के निर्देश पर कार्य करते हैं वह भला सरकार के खिलाफ रिपोर्ट कैसे दे सकता है. वह तो वैसी ही रिपोर्ट बनायेगा जैसे उसे ऊपर से निर्देश दिये जायेंगे.

इससे पूर्व आपदा घोटाले की जांच अपने ही मुख्य सचिव को देकर सरकार यह पहले ही साबित कर चुकी है. उन्होंने कहा कि यह तो दूध की रखवाली का कार्य बिल्ली को दे देना जैसा ही है.

उन्होंने कहा कि यह सचिव मुख्यमंत्री के चहेते हैं, इसीलिए उन्हें बचाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. यहां तक कि केंद्र से प्रतिनियुक्ति समाप्त करने का आदेश जारी करने के बावजूद सचिव मोहम्मद शाहिद को जांच पूरी न होने का बहाना बनाकर और जांच पूरी होने तक उत्तराखंड में ही रहने का अनुरोध केंद्र से किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं. भट्ट ने कहा कि यह सरकार भ्रष्ट नौकरशाहों को संरक्षण प्रदान कर देवभूमि को कलंकित करने का कार्य कर रही है जिसे इस प्रदेश की जनता कतई माफ करने वाली नहीं है.

उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री में तनिक भी नैतिकता बची होती तो वह सबसे पहले अपना इस्तीफा देते और इस प्रकरण की सीबीआई जांच कराकर यदि निदरेष साबित होते तो पुन: कुर्सी पर बैठते तो उचित होता, लेकिन जब पूरी सरकार ही भ्रष्टाचार के दल-दल में फंसी हो तो उसके पास अपने ही अधीन कार्यरत नौकरशाह को जांच देकर और अपने को खुद ही क्लीन चिट देने के अलावा और कोई दूसरा चारा नहीं है. इसलिए सरकार यह सब प्रपंच कर रही है.



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