उत्तराखंड में मानसून की पहली बारिश ने मचाई तबाही, 9000 तीर्थयात्री फंसे, 900 सुरक्षित निकाले गए

Last Updated 26 Jun 2015 09:36:04 PM IST

उत्तराखंड की केदारघाटी, हेमकुंड साहिब और बदरीनाथ क्षेत्र से शुक्रवार को तकरीबन 900 तीर्थयात्रियों को हेलीकॉप्टरों के जरिए सुरक्षित निकाला गया.


केदारनाथ तीर्थयात्रियों को सोनप्रयाग में सुरक्षित निकालते हुए.

दरअसल मानसून के पहली बारिश के दौरान रूद्रप्रयाग और चमोली जिलों में आधा दर्जन सड़कें तथा पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं और हिमालयी तीर्थों के लिए यात्रा आज लगातार दूसरे दिन भी बाधित रही.

स्थिति का जायजा लेने के लिए आज दिन में केदारनाथ और बदरीनाथ की यात्रा करने के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने बताया कि चमोली जिले की केदार घाटी, हेमकुंड साहिब और बदरीनाथ से कुल 900 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है.

प्रभावित क्षेत्रों से वापस लौटने के बाद शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, केदारनाथ में कोई श्रद्धालु नहीं है, सभी को वापस सोनप्रयाग लाया गया है. मौसम ठीक होने पर वे दोबारा अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं.

उन्होंने बताया कि इसी प्रकार बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब में फंसे लोगों को नीचे जोशीमठ और घनघरिया लाया गया है. उन्होंने कहा कि बदरीनाथ और सिख तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब जाने के रास्ते में फंसे लोगों को वापस लाने के लिए हेलीकॉप्टर कल फिर उड़ान भरेंगे.

चमोली जिले के जिलाधिकारी अशोक कुमार ने गोपेश्वर में संवाददाताओं को बताया कि आज लोगों को बाहर निकाले जाने के बावजूद बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब जाने के विभिन्न रास्तों में अभी भी करीब 9,000 श्रद्धालु फंसे हुए हैं.

हालांकि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि स्थिति अभी बिल्कुल चिंताजनक नहीं है और यात्रा का नियमन किया गया है उसे निलंबित नहीं किया गया है.

रावत ने देहरादून में संवाददाताओं से कहा, ''यह नियमन है, यात्रा का निलंबन नहीं है. क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों की मरम्मत की जा रही है और उनमें से ज्यादातर के कल तक ठीक होने की संभावना है.''

उन्होंने कहा, ''श्रद्धालु केदारनाथ, बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब के रास्तों में सुरक्षित इंतजार कर रहे हैं, ताकि सड़के ठीक होने पर वे अपनी यात्रा दोबारा शुरू कर सकें.''
   
रावत ने लोगों को बिना किसी डर के चारधाम यात्रा पर आने का न्योता देते हुए कहा, ''प्रशासन किसी भी आपदा के लिए पूरी तरह सतर्क और उससे निपटने के लिए तैयार है.''



मनसून के उत्तराखंड पहुंचने के महज एक दिन बाद भारी बारिश से कल रूद्रप्रयास और चमोली दोनों जिलों में सड़कों और पुलों को भारी नुकसान पहुंचा. इससे चारधाम यात्रा बुरी तरह प्रभावित हुई है और हिमालयी तीर्थों तक जाने वाले हजारों श्रद्धालुओं की यात्रा में बाधा आई.

विभिन्न स्थानों पर हुई बारिश और सड़कों पर जगह-जगह भूस्खलन का मलबा जमा होने के कारण उनके अवरूद्ध होने से चारधाम यात्रा और हेमकुंड तथा मानसरोवर यात्रा भी प्रभावित हो रही है.

चमोली जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदकिशोर जोशी ने बताया कि कल शाम की भारी बारिश में सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच वाहन परिचालन के लिए बना एक महत्वपूर्ण पुल बह गया. इसके अलावा बदरीनाथ राजमार्ग आज लगातार दूसरे दिन चार स्थानों पर अवरूद्ध रहा जिसके कारण बदरीनाथ, हनुमानछत्ती, पंडुकेश्वर, गोविन्दघाट और घनघरिया में करीब 9,000 श्रद्धालु फंसे हुए हैं.

जोशी ने बताया कि जोशीमठ और विष्णुप्रयाग के बीच बदरीनाथ राजमार्ग पर पहाड़ों से टूटे बड़े-बड़े पत्थर तथा चट्टानें रास्ता रोके हुए हैं, जिसके कारण सिख धर्मस्थल हेमकुंड साहिब जाने और वहां से लौटने वाले श्रद्धालुओं को अलग-अलग स्थानों पर आश्रय लेना पड़ा है.

उन्होंने बताया कि हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हो चुके 5,000 से ज्यादा श्रद्धालु घनघरिया में रूके हुए हैं जबकि करीब 1,200 श्रद्धालुओं को गोविन्दघाट में ही रूकने को कहा गया है.

उन्होंने बताया कि बदरीनाथ में करीब 5,000 श्रद्धालु राजमार्ग के खुलने का इंतजार कर रहे हैं. अलकनंदा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए गोविन्दघाट में स्थित गुरूद्वारे को खाली करा दिया गया है. जोशी ने बताया कि वहां ठहरे हुए यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है.

हेमकुंड साहिब तक पैदल जाने वाले रास्ते में बना पुल भी बह गया है. अधिकारी ने बताया कि चमोली जिले में आठ सड़कें मलबे के कारण अवरूद्ध हैं जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.

राज्य आपदा मोचन बल की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, चमोली जिले में तीन अस्थायी पुलों को नुकसान पहुंचा है और रूद्रप्रयास जिले में केदारनाथ जाने वाली सड़क सोनप्रयाद में करीब 100 मीटर तक क्षतिग्रस्त हो गयी है

 

 



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment