नि:शुल्क शौचालयों के निर्माण और रखरखाव के लिए केंद्र दे वित्तीय मदद: हरीश रावत
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि देश को वर्ष 2019 तक ‘खुले में शौच की प्रथा से मुक्त करने के चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र को वित्तीय व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी.
हरीश रावत (फाइल फोटो) |
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि धार्मिक स्थलों में नि:शुल्क शौचालयों के निर्माण और रखरखाव के लिए केंद्र की ओर से वित्तीय व्यवस्था दी जाए. शहरी क्षेत्रों में शौचालय निर्माण के लिए दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को भी बढ़ाया जाए.
मुख्यमंत्री ने यह बात बुधवार को बेंगलुरू में स्वच्छ भारत मिशन के लिए नीति आयोग के तहत गठित मुख्यमंत्रियों के उपसमूह की तृतीय बैठक में प्रतिभाग करते हुए कही.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शौचालयों के अनुश्रवण व रख-रखाव के काम को केवल मंदिर, मेला समितियों व स्थानीय निकायों के जिम्मे नहीं छोड़ा जा सकता है. अधिकांश तीर्थयात्री भुगतान व प्रयोग करें वाले शौचालय के शुल्क को वहन करने में असमर्थ होते हैं. निकायों के पास भी इतने बड़े पैमाने पर नि:शुल्क संचालन व रख-रखाव के लिए संसाधन नहीं होते हैं. इनके लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान किया जाना चाहिए.
स्वच्छ भारत अभियान के लिए उत्तराखंड में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार के स्तर से चमोली व बागेश्वर जिलों को दो वर्षो में संतृप्त किए जाने की योजना है. राज्यों के स्तर से प्रयासों को केंद्रित करने के लिए राज्यों को अनटाइड फंड दिए जाने की आवश्यकता है.
मुख्यमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन में बजट को बढ़ाने के साथ ही इसे समय से जारी किए जाने पर बल देते हुए कहा कि सभी स्थानों पर सार्वजनिक शौचालयों का एक जैसा संचालन व रखरखाव का स्थायी मॉडल संभव नहीं है. इसलिए कुछ स्थानों पर क्रॉस सब्सिडी का प्रावधान करने पर विचार किया जाए. स्वच्छ भारत अभियान में औद्योगिक व कारपोरेट घरानों का सहयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए. इसके लिए औद्योगिक घरानों को ग्राम पंचायतों व वाडरे का आवंटन किया जा सकता है. जिलास्तर पर अभियान की सघन समीक्षा के लिए जिलाधिकारी की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि में स्वच्छता के पैमाने को शामिल किया जाना चाहिए. कागजों के उपयोग को कम करने, पुन: उपयोग करने व रिसाइकिल उपयोग को प्राथमिकता दी जाए.
सीएम ने कहा कि उत्तराखंड में बच्चों को प्रारंभ से ही स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए ब्लॉक व जिला स्तर पर विद्यालयों में स्वच्छता विषयक निबंध प्रतियोगिता, पेंटिंग व वाद विवाद प्रतियोगिता से बच्चों के मस्तिष्क में स्वच्छता की संकल्पना को विकसित किया जा रहा है. उत्तराखंड में ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय विहीन प्रत्येक परिवार को शौचालय निर्माण के लिए प्रोत्साहित करने और तकनीकी जानकारी देने का प्रयास किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छता अभियान को गति प्रदान करने के लिए प्राथमिक स्वास्य केंद्रों, विद्यालयों, बिजली,पानी, गैस बिलों, बस टिकटों, राशन कार्ड इत्यादि पर स्वच्छता संबंधी संदेशों के अंकन कराने से निश्चित रूप से अच्छा प्रभाव पड़ेगा. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को शहरी क्षेत्रों में प्राथमिकता देने के साथ ही आवश्यक प्रशिक्षण, क्षमता विकास व कम लागत की तकनीक विकसित किए जाने की आवश्यकता है. अपशिष्ट के संग्रहण और निस्तारण का पर्यवेक्षण गहनता से किया जाना चाहिए. निजी उद्यमियों की सहायता से कूड़े कचरे से ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
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