संतों ने एक स्वर में राम मंदिर निर्माण के संकल्प को दोहराया

Last Updated 27 May 2015 06:15:21 PM IST

विश्व हिन्दू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक के दूसरे दिन श्रीराम मंदिर के संबंध में प्रस्ताव पारित हुआ.


संतों ने मंदिर निर्माण का संकल्प दोहराया

उत्तराखंड के हरिद्वार में हुई बैठक में शामिल 100 से अधिक संतों ने एकमत होकर राम मंदिर निर्माण के संकल्प को दोहराया. साथ ही इसके कानूनी पहलू पर भी चर्चा की. प्राचीन श्रीराम मंदिर में चल रही विहिप केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी कृष्णाचार्य की अध्यक्षता में शुरू हुई.

बैठक में महंत सुरेश दास ने श्रीराम मंदिर का प्रस्ताव रखा, जिसका समर्थन निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्म दास ने और अनुमोदन श्रीमहंत कन्हैया दास ने किया.

बैठक में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि के लिए पूरा देश संकल्पित है, जिस ढंग से समाधान निकलता हो, हमें उसी प्रकार से प्रयास करना चाहिए क्योंकि पूरे देश का हिंदू श्रीराम मंदिर निर्माण भव्यता के रूप में देखना चाहता है.

स्वामी गोविंद देव गिरि ने कहा कि निश्चित रूप से हम सबके लिए श्रीराम मंदिर जन्मभूमि के लिए, गोरक्षा के लिए, गंगा रक्षा के लिए संघर्ष तो करना है मगर धैर्य की भी आवश्यकता है. धैर्य खोने से स्थितियां बिगड़ सकती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई देशों में भागवत गीता बांटी. इसी से प्रेरित सरकार को चाहिए कि देश के पाठ्यक्रम में भगवद् गीता को सम्मिलित करे.

उन्होंने कहा कि भगवान राम के जन्मभूमि पर हमें मंदिर बनाना है मगर संघर्ष करते हुए भी बेहद सावधानी बरतनी होगी. श्रीमहंत कन्हैया दास ने कहा कि हर हाल में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण होना चाहिए. आवश्यकता पड़े तो संयुक्त अधिवेशन बुलाकर संसद में प्रस्ताव पारित हो.

वृन्दावन से आए स्वामी आदित्यानंद ने कहा कि हमें सरकार को थोड़ा समय देना चाहिए. महामंडलेश्वर रामेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि देश की परिस्थितियां बदल रही हैं. मंदिर निर्माण पर दूसरे समुदायों की भी राय बदल रही है, इसलिए धैर्य रखते हुए परिस्थितियों को अपने अनुकूल होने का इंतजार करना चाहिए. स्वामी अमृतराम ने कहा कि उतावलापन नहीं दिखाना चाहिए जबकि अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से निरंतर इस कार्य को गति देते रहना होगा.

महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्ममचारी ने कहा कि राम मंदिर निर्माण से संत कहीं पीछे नहीं हैं. सब एकजुट होकर मंदिर निर्माण के कार्य में लगे तो हर सूरत में राम मंदिर निर्माण होकर रहेगा.

महामंडलेश्वर चित्त प्रकाशानंद ने कहा कि जोश हमारे कार्य में बाधक न बने। हमें अपने लोगों पर अविास नहीं करना चाहिए. साध्वी विभानंद गिरि ने कहा कि हमें सरकार पर दबाव बनाकर मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए जाने की मांग करनी चाहिए.

स्वामी चिन्मय दास ने कहा कि एक विशाल संत सम्मेलन आयोजित किया जाए, जिसमें देश के प्रधानमंत्री को बुलाया जाए. स्वामी रामदास ने राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदू समाज को एकजुट होने का आह्वान किया. स्वामी पुष्करानंद ने कहा कि श्रीराम मंदिर हिन्दू आस्था का मुद्दा है, जिस पर ज्यादा धैर्य की हमारी मानसिकता न बनी रहे.

कार्यक्रम के अध्यक्ष जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी कृष्णाचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री की कार्यशैली से उन्हें अधार्मिक नहीं कहा जा सकता. उन्होंने देश के मान-सम्मान, हिन्दू मान्यताओं, संस्कृति व सभ्यता को विदेशों में मनवाया है. निर्जल नवरात्रि वत करना, गंगा आरती करना, शिवार्चन सहित श्रीमद्भागवत गीता का विदेशों में प्रचार करना, उनकी हिन्दू मानसिकता दर्शाता है. हमें प्रधानमंत्री को थोड़ा समय देना चाहिए. राम मंदिर निर्माण के लिए संतों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिले और उनसे वार्ता कर राम मंदिर निर्माण के लिए कोई ठोस कदम उठाने की मांग करे.

महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद ने सभी संतों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह सरकार हमारी है. हमें धैर्य से सरकार के साथ समन्वय बनाकर श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए.

कार्यक्रम का संचालन विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्र व महामंत्री चम्पतराय ने किया. कार्यक्रम में विहिप कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगडिया, दिनेशचंद्र, अशोक तिवारी व हरीशंकर आदि मुख्य थे.



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