महाकुंभ घोटाले का जिन्न बाहर निकला

Last Updated 01 Apr 2015 05:41:21 AM IST

राज्य सूचना आयोग ने 2010 के हरिद्वार महाकुंभ घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की है.


महाकुंभ घोटाले का जिन्न बाहर निकला

राज्य सूचना आयुक्त अनिल कुमार शर्मा इसके पहले राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की दवाओं के मामले में भी राज्य सरकार से सीबीआई जांच की सिफारिश कर चुके हैं, जिसे सरकार ने मान लिया था. महाकुंभ घोटाले को 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश कांग्रेस ने मुद्दा भी बनाया था. वर्ष 2010 में प्रदेश में भाजपा सत्ता में थी.

सूचना आयुक्त अनिल कुमार शर्मा ने महाकुंभ घोटाले से जुड़े मामले में मुख्यमंत्री के सचिव को भेजे गए अपने आदेश में कहा है कि कुंभ आयोजन के लिए आवंटित 565 करोड़ रुपये के इस्तेमाल की केंद्र सरकार के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि 180.07 करोड़ की लागत के कार्य निर्माण किए बिना 31 जुलाई 2010 तक अपूर्ण रहे थे. इन 180.07 करोड़ रुपयों का हिसाब-किताब न तो शासन ने दिया न ही मेलाधिकारी कार्यालय हरिद्वार ने. यही नहीं शासन ने भी हिसाब किताब की खोजबीन कराने का सार्थक प्रयास किसी जांच एजेंसी से नहीं कराया. ऐसी परिस्थिति में जनहित व राजस्व हित में गंभीर अनियमितता एवं भ्रष्टाचार प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच केंद्र सरकार की उच्चस्तरीय जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराई जाए.

आवंटित धन केंद्र सरकार का था इसलिए इस धन के खर्च का हिसाब-किताब की जांच भी केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराना न्यायहित में सर्वोपरिरूप से आवश्यक है. सूचना आयुक्त ने इस संबंध में अपीलार्थी से प्रार्थना पत्र देने को कहा है. धर्मशाला माई गिंदा कुंवर बरेली ट्रस्ट सुभाषघाट हरिद्वार के ट्रस्टी रमेश चंद्र शर्मा ने कई आरटीआई याचिकाओं के जरिए शासन से और मेलाधिकारी से महाकुंभ के विभिन्न अधूरे निर्माण कार्यों के बारे में जानकारी मांगी थी मगर जब उन्हें सूचनाएं नहीं मिलीं तो उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील कर दी.

रमेश चंद्र शर्मा का कहना था कि कुंभ मेले के आयोजन के लिए केंद्र से मिले 180 करोड़ रुपये के केंद्रीय कोष का कोई हिसाब-किताब ही नहीं है. कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार को 2010 में मेले के आयोजन के लिए 565 करोड़ रुपये का अनुदान दिया था.  मेले के दौरान लोकहित के 54 कार्य पूरे नहीं हो सके. इससे दुनिया भर से हरिद्वार आए लाखों श्रद्धालुओं को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ा.

कैग की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया किराज्य सरकार के 34 विभागों के लिए 311 कार्यों के वास्ते 565 करोड़ आवंटित किये गए थे, जिनमें से 180 करोड़ के 54 कार्य अधूरे रहे. मामला खुलने पर भी तत्कालीन राज्य सरकार ने इस मामले की सतर्कता जांच नहीं कराई. अपने आदेश में सूचना आयुक्त अनिल शर्मा ने रमेश शर्मा की ओर से उठाए गए विषयों पर संज्ञान लिया और मामले की निस्तारण करते हुए मुख्यमंत्री के सचिव को निर्देश दिए कि वे इस मामले को सीएम के संज्ञान में लाएं, ताकि वह मामले की सीबीआई जांच का फैसला ले सकें. 



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment