गंगा की सफाई में उत्तराखंड अव्वल

Last Updated 31 Mar 2015 12:54:38 PM IST

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा की सफाई के मामले में उत्तराखंड देश में अव्वल बताया है.


गंगा की सफाई में उत्तराखंड अव्वल (फाइल फोटो)

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से फरवरी में वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट कहती है कि उत्तराखंड में जितना सीवेज पैदा होता है, उसके करीब 70 फीसद का उपचार कर लिया जाता है, जबकि पश्चिमी बंगाल में करीब साढ़े 30 फीसद, उत्तर प्रदेश में 28 फीसद , बिहार में करीब 17 फीसद सीवेज का ट्रीटमेंट हो पाता है.

झारखंड की स्थिति सबसे बुरी है झारखंड में बिना सीवेज का ट्रीटमेंट हुए ही गंदा पानी गंगा में चला जाता है. यह बात और है कि उत्तराखंड में 111 प्रतिदिन मिलियन लीटर (एमएलडी) सीवेज पैदा होता है और उसमें से प्रतिदिन करीब 77 मिलियन लीटर सीवेज का ट्रीटमेंट हो जाता है.

पश्चिमी बंगाल में 1535 एमएलडी सीवर पैदा होता है, जिसमें से 467 एमएलडी का ही ट्रीटमेंट हो पाता है. उत्तर प्रदेश में 1341 एमएमलडी में से केवल 373, बिहार में 636 एमएलडी में से 109 व झारखंड में 12 एमएलडी सीवेज यूं ही गंगा के पानी में मिल जाता है. अब उन राज्यों की बात की जाए जहां से गंगा गुजरती है तो नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी (एनजीआरबीए) की क्लीन गंगा मिशन की परियोजनाओं को पूरा करने की बात की जाए तो भी उत्तराखंड दूसरे नंबर पर है, जबकि पश्चिमी बंगाल पहले नंबर पर है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक बंगाल ने 24 कस्बों में कुल मंजूर 1352 करोड़ की 30 परियोजनाओं में से 23 पूरी कर ली है, जबकि उत्तराखंड ने 11 कस्बों के लिए 251.21 करोड़ की 16 मंजूर परियोजनाओं में से दो पूरी कर ली है.

उत्तर प्रदेश में अभी 15 परियोजनाएं चल ही रही हैं. बिहार में 12 और झारखंड में एक परियोजना जारी है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक गंगा नदी में रोजाना 37000 मिलियन लीटर सीवेज गिरता है.

रिपोर्ट के मुताबिक जहां नगरों का गंदा पानी गंगा के प्रदूषण का बड़ा कारण है वहीं उद्योगों के कारण प्रदूषित जल भी कहीं पीछे नहीं है। 275 नदियों के 302 ऐसे इलाके हैं, जिनसे गंगा प्रदूषित हो रही है. गंगा में गिरने वाले अनुपचारित सीवेज का दो तिहाई हिस्सा 118 कस्बों में पैदा होता है.

रिपोर्ट के मुताबिक इन कस्बों से 3636 एमएलडी सीवर गंगा में जाता है जबकि पांच राज्यों के मौजूदा 55 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता केवल 1027 एमएलडी है. पूरे देश की बात करें तो 606 एसटीपी की क्षमता 20358 एमएलडी ही है.

रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 275 छोटी और बड़ी नदियों में 302 प्रदूषण वाले क्षेत्र हैं. इन क्षेत्रों में 650 कस्बे बसे हैं. संयोग से इनमें से अधिकतर प्रदूषित नदी क्षेत्र उन राज्यों में हैं, जहां गंगा नहीं बहती.

बहरहाल उत्तराखंड , उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिमी बंगाल में 48 जबकि शेष 254 प्रदूषित क्षेत्र उन राज्यों में हैं. जहां से गंगा नहीं गुजरती. हालांकि गंगा नदी घाटी पर 45 फीसद आबादी बसी है, मगर 118 कस्बे ही गंगा नदी घाटी क्षेत्रों के प्रदूषित नदी क्षेत्रों में हैं, जबकि शेष 532 कस्बे देश के अन्य प्रदूषित नदी क्षेत्रों में है.



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