उत्तराखंड में लड़कियों के हक की बात करने पर स्कूल से निकाला

Last Updated 29 Mar 2015 12:25:56 PM IST

उत्तराखंड में लड़कियों के हक के लिए आवाज उठाने पर सजा का शर्मनाक मामला सामने आया है.


हक की बात करने पर स्कूल से निकाला (फाइल फोटो)

लड़कियों के लिए आवाज उठाने पर नैनीताल जिले की बाल विधायक अधिकता रौतेला को स्कूल प्रशासन से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. अधिकता रामनगर के गोवर्धन पूरन प्रसाद कन्या इंटर कॉलेज की छात्रा थी, मगर उसे लड़कियों के अधिकारों के लिए जुलूस निकालने के लिए 26 फरवरी से स्कूल से निकाल दिया गया है.

अब बाल विधानसभा के सभी सदस्यों ने इस मामले को लेकर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग नैनीताल के मुख्य शिक्षा अधिकारी व जिलाधिकारी से शिकायत की है.

अधिकता ने बस आदि सार्वजनिक वाहनों में लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ के खिलाफ आवाज उठाई थी. यही नहीं उसने स्कूल में स्कूल टीचर द्वारा बच्चों की डंडों से पिटाई के खिलाफ भी आवाज उठाई थी. गोवर्धन पूरन प्रसाद कन्या इंटर कॉलेज जाना आसान नहीं है और केवल बसों से ही वहां पहुंचा जा सकता है. इस रूट पर बसें भी बहुत कम हैं और लड़कियों को अक्सर बैठने की जगह नहीं मिलती है.

समस्या यहीं समाप्त नहीं होती, बल्कि बस में बच्चियों के साथ छेड़छाड़ के साथ विभिन्न तरह की टिप्पणियां होती रहती हैं. बसों के न होने व देर शाम सात बजे स्कूल से लौटने की मजबूरी की वजह से बहुत सी लड़कियों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है. स्कूल में दैहिक दंड व छात्राओं का मानसिक उत्पीड़न भी एक बड़ी समस्या है.

हालांकि यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा-17 का खुला उल्लंघन है मगर कन्या इंटर कॉलेज में यह जारी था. इसी समस्या को अधिकिता रौतेला ने स्कूल की प्रधानाचार्य के सामने रखा और उनसे छात्राओं की स्कूल आने-जाने की समस्या से निजात दिलाने की अपील की, मगर छात्राओं की समस्या की अर्जी जिलाधिकारी को भेजने की बजाय कन्या इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य ने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं करना है और अगले साल से वह इस स्कूल में बस से आने वाली लड़कियों को एडमिशन नहीं देंगी.

प्रधानाचार्य के इस रवैये के विरोध में अधिकता और उसकी कुछ सहपाठियों ने लड़कियों की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर एक मार्च निकाला, लेकिन प्रधानाचार्य ने मार्च निकालने पर लड़कियों की पिटाई की और धमका कर उनका मानसिक उत्पीड़न किया.

यही नहीं अधिकता को मार्च निकालने के आरोप में स्कूल से निष्कासित कर दिया.

उत्तराखंड बाल विधानसभा के स्पीकर रहे एक छात्र ने इस मामले को अब फेसबुक पर सार्वजनिक किया है. उनका कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 29(2) के तहत स्कूल प्रशासन के लिए बच्चों की अभिव्यक्ति के अधिकार की सुरक्षा के साथ उसे भयमुक्त, तनावरहित वातावरण मुहैया कराना होता है मगर इस मामले में कानून का सरासर उल्लंघन हुआ है.

संयुक्त राष्ट्र के घोषणा पत्र के मुताबिक बच्चों का शांतिपूर्ण ढंग से एकत्र होना व जुलूस निकालना उनका अधिकार है. नैनीताल के डीएम को इस मामले में दखल देना चाहिए. शिक्षा का अधिकार कानून के तहत बच्ची को स्कूल से नहीं निकाला जा सकता. मुख्य शिक्षा अधिकारी शिक्षा का अधिकार कानून को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें मामले में तुरंत दखल देना चाहिए.



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