उत्तराखंड में अब सामने आया ईपीएफ घपला

Last Updated 27 Mar 2015 02:49:22 PM IST

उत्तराखंड के राज्य सूचना आयोग में अब ईपीएफ घपला सामने आया है.


अब सामने आया ईपीएफ घोटाला (फाइल फोटो)

राज्य सूचना आयोग में सामने आए इस मामले में सूचना आयुक्त अनिल कुमार शर्मा ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि मामले में सामने आए तथ्यों का तीन माह में प्रशासनिक स्तर पर संज्ञान लेकर सभी जिलाधिकारियों को जांच के निर्देश दें और जांच में जो भी अधिकारी या कर्मचारी दोषी पाया जाता है उसके खिलाफ सेवा नियमावली के आधार पर कार्रवाई कर आयोग को भी सूचना दें.

दरअसल चंपावत जिले के मोहनपुर टनकपुर निवासी राजेंद्र खर्कवाल ने चंपावत के जिला विकास अधिकारी यानी लोक सूचना अधिकारी से पिछले साल जुलाई में मनरेगा कर्मियों से जुड़ी सूचनाएं मांगी थीं.

मिली अस्पष्ट सूचनाओं और मुख्य विकास अधिकारी के विभागीय अपील के निस्तारण से असंतुष्ट होकर उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील कर दी.

आयोग में राजेंद्र खर्कवाल ने जब कहा कि चूंकि ईपीएफ में गड़बड़ी की जा रही है, इसलिए उन्हें जानबूझकर स्पष्ट सूचनाएं नहीं दी जा रहीं तो आयोग ने अधिकारियों से फाइलें मंगवाई. फाइलों के अवलोकन के बाद आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि चूंकि ईपीएफ काटने के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा, इसीलिए स्पष्ट सूचनाएं नहीं दी जा रहीं.

चंपावत में सामने आए भ्रष्टाचार के इस मामले को अब आयोग ने अपने आदेश में एक गंभीर विषय बताया है. अपीलार्थी ने कहा कि यदि इन सूचनाओं के संबंध में जांच के आदेश दे दिये जाते हैं तो इन सूचनाओं से संबंधित जो अन्य प्रकरण हैं, उन पर वह किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं चाहेंगे.

अब सूचना आयुक्त अनिल कुमार शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में ईपीएफ न काटकर कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है. उन्होंने अपने आदेश की प्रति मुख्य सचिव को इस मामले में जांच कराकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

चंपावत में गलत तथ्य व सबूत पेशकर 18 लाख 24 हजार रुपये का भ्रष्टाचार

सूचना अधिकार के इस मामले से यह खुलासा हुआ कि चंपावत जिले में में 49 मनरेगा कर्मियों की नियुक्ति करने वाली संस्था उत्तराखंड को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड देहरादून ने संबंधित कर्मियों का ईपीएफ ही नहीं काटा. यही नहीं सोसायटी ने कार्मिकों से स्टांप पेपर पर ईपीएफ नहीं काटने का दबाव बनाकर अपने पक्ष में लिखवा लिया और गलत तथ्य व साक्ष्य जिलाधिकारी चंपावत को पेश कर 18 लाख 24 हजार रुपये का भुगतान प्राप्त कर भ्रष्टाचार किया गया.



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