शिक्षा मंत्री पर चलता रहेगा हिंसा का केस
उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी, नरेंद्र प्रकाश, प्रदीप नैथानी समेत कुल 22 लोगों के खिलाफ बलवे, दूसरों के जीवन को संकट में डालने और अन्य धाराओं में दर्ज मुकदमा वापस नहीं लिया जाएगा.
उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी (फाइल फोटो) |
राज्य सरकार द्वारा मुकदमा वापस लेने के निर्णय के बाद सहायक अभियोजन अधिकारी की ओर से दाखिल याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है.
अदालत ने कहा है कि इससे आमजन में गलत संदेश जाएगा. आरोपितों के खिलाफ यह मुकदमा वर्ष 2001 में थाना डालनवाला में दर्ज किया गया था.
तब दर्ज मुकदमे के अनुसार 11 जनवरी 2001 को मंत्री प्रसाद नैथानी और अन्य नेताओं के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने विधानसभा कूच किया था. यहां रिस्पना पुल पर बैरिकेडिंग लगाकर पुलिस ने जुलूस को रोकने का प्रयास किया, मगर मंत्री प्रसाद नैथानी व उनके समर्थकों ने बैरिकेडिंग तोड़ डाला. इसके अलावा पुलिस पर पथराव भी किया. हिंसा पर उतारू आरोपितों की इस हरकत से जनता में भय व्याप्त हो गया और घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई.
पुलिस की ओर से इस मामले में मंत्री प्रसाद नैथानी समेत 22 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. राज्य सरकार के गृह अनुभाग ने 10 सितंबर 2014 को मुकदमा वापस लेने का निर्णय लिया. इसके बाद विशेष सहायक अभियोजन अधिकारी की ओर से 18 नवंबर 2014 को मुकदमा वापस लेने की याचिका अदालत में दाखिल की गई, मगर अदालत ने मुकदमा वापस लेने में कोई जनहित न पाते हुए याचिका खारिज कर दी.
मुकदमा वापस न लेने को अदालत ने की टिप्पणी
याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि सभी आरोपित वर्ष 2002 तक तो अदालत में हाजिर होते रहे, मगर इसके बाद अपनी इच्छा व सुविधानुसार अदालत में पेश हुए. आरोपितों के खिलाफ जमानती व गैर जमानती वारंट जारी हुए. तब भी आरोपित पेश नहीं हुए और न ही पुलिस यह वारंट तामील करा सकी.
इस पर आरोपितों के कुर्की वारंट जारी किए गए. ऐसे में यदि मुकदमा वापस लिया जाता है तो जन सामान्य में यह धारणा बनेगी कि अराजकता व हिंसा जैसा गंभीर मुकदमा भी वापस हो सकता है. उनके मन में व्यवस्था के प्रति अविश्वास पैदा होगा और ऐसे में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति होने की पूरी संभावना है.
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