उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू की दवा का टोटा
स्वाइन फ्लू की दवाएं न मिलने से प्रदेश में लोगों की जान खतरे में हैं.
उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू की दवा का टोटा |
सरकारी के साथ प्राइवेट अस्पतालों में भी स्वाइन फ्लू के मरीजों को दी जाने वाली दवा टेमीफ्लू का ‘टोटा’ बना हुआ है. सिर्फ एक ही अस्पताल में स्वाइन फ्लू की यह दवा है लेकिन उसके पास भी पर्याप्त मात्रा में नही है. सरकारी अस्पतालों को अब इसी अस्पताल से दवाई मांगनी पड़ रही है.
वताया जा रहा है कि दवा बनाने वाली कंपनियां कम मात्रा में दवा बनाने के कारण केन्द्र सरकार ने भी प्रदेश को दवा उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया है और केंद्र ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य महकमे को खुद ही दवा का इंतजाम करने को कहा है. देश के कई प्रदेशों में स्वाइन फ्लू ने पैर पसार लिए हैं.
इससे कई जानें जा चुकी है. उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू के तीन-चार मामले प्रकाश में आ चुके हैं. सरकारी व निजी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की दवाओं का टोटा है. कुछ प्राइवेट अस्पतालों में ही स्वाइन फ्लू की दवा है. जिन अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की दवा मौजूद है. वहां भी कोटा कम है.
इसलिए वे अपने मरीजों के लिए दवा बचाकर रख रहे हैं. इसलिए सरकारी अस्पतालों की गुहार के बाद भी वह निश्चित मात्रा में ही दवा उन्हें दे रहे हैं. ऐसे में अगर प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ते हैं तो लाखों लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये दवा केन्द्र सरकार से उपलब्ध होती है.
केन्द्र सरकार को डिमांड भिजवा दी गई हैं. उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू की दवा कुछ ही कंपनियां बनाती हैं. उन कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है. सूत्रों की मानें तो पूरे देश में केवल चार कंपनियां ही इस दवा को बनाती है.
इनमें दो कंपनियों ने दवा बनाने के इनकार कर दिया है क्योंकि यह सीजनल बीमारी है. अधिक दवा बनाने से उन्हें हर साल करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ता है. दो कंपनियां जो दवा बना रही है वे भी ज्यादा स्टॉक नहीं बना रही हैं.
बताया जा रहा है कि केन्द्र सरकार ने भी प्रदेश को दवा देने के इंकार करते हुए खुद ही इंतजाम करने को कहा है.
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