विश्वस्तरीय धरोहर बनेगा जागेश्वर मंदिर समूह

Last Updated 28 Dec 2014 06:18:56 AM IST

उत्तराखंड का जागेश्वर मंदिर समूह विश्वस्तरीय पुरातात्त्विक धरोहर बनेगा. केंद्र सरकार की आदर्श स्मारक योजना में शामिल होगा.


जागेश्वर मंदिर का फाइल फोटो

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस योजना के लिए देशभर में एएसआई द्वारा संरक्षित 3680 राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों व पुरातात्त्विक धरोहरों में से 25 धरोहरों को चिह्नित किया है.

योजना के तहत इस पुरातात्त्विक स्मारकों का विश्व मानकों के हिसाब से विकास किया जाएगा और उन्हें विश्वस्तरीय सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. इसके तहत वाई-फाई कनेक्टिविटी, सुरक्षा, साइन बोर्ड, अतिक्रमण मुक्त क्षेत्र व इंटरप्रेटेशन सेंटर आदि की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी.

इंटरप्रेटेशन सेंटरों में लघु फिल्मों के जरिये पर्यटकों को इन धरोहरों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में बताया जाएगा. यही नहीं स्वच्छ स्मारक स्वच्छ भारत के साइन बोर्ड लगेंगे, जिनमें इन स्थलों की जानकारी दी जाएगी. इतना ही नहीं इस योजना के तहत हर स्मारक में विकलांगों के लिए रैंप बनेंगे और व्हील चेयर ले जाने की सुविधा भी होगी. इसी के साथ सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे और पेयजल सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी.

वर्ष 1960 में जागेश्वर मंदिर समूह से नवीं सदी की लकुलीश की मूर्ति चोरी हो गई थी. तीन दशक बाद अमेरिका के न्यूयॉर्क के मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट में मिली. भारत सरकार के अनथक प्रयासों से इसे वापस लाया गया और दिल्ली में केंद्रीय पुरातात्त्विक संग्रहालय में रखा गया, मगर इसी साल नवंबर में विश्व पुरातत्व सप्ताह (19 से 25 नवंबर) के दौरान 50 साल बाद यह मूर्ति अपने मूल स्थान यानी जागेश्वर लौट आई है. अल्मोड़ा जिले में समुद्रतल से 1870 मीटर की ऊंचाई पर देवदार के वन के बीच स्थित जागेश्वर मंदिर समूह अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ राजमार्ग पर करीब 36 किलोमीटर दूर है.

इस मंदिर समूह में नवीं से सोलहवीं सदी के बीच कत्यूरी राजवंश व चंद राजवंश के शासकों द्वारा बनाए गए 124 मंदिर हैं और इन मंदिरों के खंभों में 25 से ज्यादा शिलालेख हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित स्मारकों में शामिल इस मंदिर समूह में दंडेर, चंडी, जागेश्वर, कुबेर, मृत्युंजय, नंदा देवी या नवदुर्गा, नवग्रह व सूर्य आदि के मंदिर हैं. जागेश्वर को 12 ज्योतिर्लिगों में पहला नागेर ज्योतिर्लिग माना जाता है. 15 जुलाई से 15 अगस्त तक यहां श्रावण मेला यानी महाशिवरात्रि मेला लगता है. जटागंगा नदी घाटी में स्थित जागेश्वर के पास दो छोटी जलधाराओं नंदिनी व सुरभि का संगम भी है.

इन 25 स्थलों को मिलेगा केंद्र की आदर्श स्मारक योजना का लाभ

देहरादून. उत्तराखंड का जागेश्वर मंदिर समूह, दिल्ली में हुमायूं का मकबरा, लाल किला व कुतुबमीनार, उत्तर प्रदेश में आगरा का ताजमहल, फतेहपुर सीकरी, श्रावस्ती व सारनाथ जम्मू-कश्मीरमें लेह पैलेस, मार्तड सूर्य मंदिर, पश्चिमी बंगाल में मुर्शिदाबाद का हजारद्वारी महल, महाराष्ट्र में दौलताबाद का किला व एलिफैंटा गुफाएं, केरल में महाबल्लिपुरम का मंदिर व सेंट एंजेलो फोर्ट, राजस्थान में कुंभलगढ़ का किला, गुजरात में रानी की वाव, कर्नाटक के हंपी नगर के अवशेष, बिहार में वैशाली-कोल्हुआ, मध्य प्रदेश में खजुराहो व मांडू, तमिलनाडु में तंजाउर का बृहदेश्वर मंदिर, तंजाउर, हिमाचल का मसरूर रॉक कट टेंपल, उड़ीसा का कोणार्क का सूर्य मंदिर और असम का सिबसागर जिले में स्थित रंग घर.

अरविंद शेखर
एसएनबी


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