उत्तराखंड सरकार को जोर का झटका,खनन नीति 2011 को कोर्ट ने किया खारिज
नैनीताल उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार को जोर का झटका दिया है.
खनन नीति 2011 को कोर्ट ने किया खारिज |
एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की खनन नीति 2011 को निरस्त कर दिया है. यह नीति भाजपा सरकार के कार्यकाल में तैयार की गई थी.
उच्च न्यायालय के फैसले के बाद राज्य सरकार को इस मामले में नए सिरे से मंथन करना होगा. यह जनहित याचिका बाजपुर निवासी रंजीत सिंह गिल ने दाखिल की थी. इसमें आरोप लगाया गया था कि केंद्र सरकार के आदेशों के अनुसार दाबका नदी से केवल वन विकास निगम ही खनन का काम कर सकता है, जबकि राज्य सरकार ने 2011 की खनन नीति तैयार कर यह काम तीसरी पार्टी को दे दिया था.
याचिकाकर्ता का यह भी कहना ह कि भारतीय वन कानून 1927 और वन अधिनियम् 1980 के तहत तीसरी पार्टी को खनन का काम् देना सीधा उल्लंघन है.
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायमूर्ति सुधांश धूलिया और न्यायमूर्ति सर्वेश कुमार गुप्ता की संयुक्त खंडपीठ ने खनन नीति 2011 को निरस्त कर दिया.
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने दाबुका नदी से खनन का काम तीसर पार्टी को देने के लिए नदी तट से 223 हेक्टेयर इलाके में खुदाई की अनुमति दी थी. इस आदेश के बाद राज्य सरकार को दाबका नदी से खनन के मामले म् नए सिरे से मंथन करना होगा.
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