कांग्रेस सरकार व संगठन ने खोला केंद्र के खिलाफ मोर्चा

Last Updated 17 Dec 2014 02:37:44 PM IST

उत्तराखंड सरकार और प्रदेश कांग्रेस संगठन दोनों ने केंद्र की मोदी सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है.


कांग्रेस ने खोला केंद्र के खिलाफ मोर्चा (फाइल फोटो)

राज्य के हितों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस तो 18 दिसंबर को जंतर-मंतर में सत्याग्रह कर ही रही है. विभिन्न मुद्दों पर मुख्यमंत्री हरीश रावत के हालिया बयानों और पीएम को लिखे खत से साफ है कि प्रदेश सरकार व कांग्रेस संगठन अब केंद्र सरकार को किसी तरह की रियायत देने के मूड में नहीं है.

केंद्रीय योजना आयोग, हाइड्रो प्रोजेक्ट के बाद अब ईको सेंसिटिव जोन को लेकर भी मुख्यमंत्री रावत ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. हाल में केंद्रीय योजना आयोग के विकल्प को लेकर मुख्यमंत्रियों की बैठक और उसके बाद इंटीग्रेटेट माउंटेन इनिशिएटिव की ओर से आयोजित 11 हिमालयी राज्यों की बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत योजना आयोग को खत्म करने के केंद्र के एकतरफा फैसले का विरोध कर चुके हैं और उसे संघीय व्यवस्था पर चोट बता चुके हैं, बल्कि उन्होंने केंद्र के फैसले से हिमालयी राज्यों को नुकसान की आशंका भी जता दी है.

इसी तरह सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के हलफनामे पर वह सवाल उठा रहे हैं. सोमवार को तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर हलफनामे पर आपत्ति जताई और हाइड्रो प्रोजेक्टो को रोके जाने से उत्तराखंड को हो रहे नुकसान की भरपाई की मांग तक कर डाली. वह इस मामले में केंद्र सरकार को घेरते हुए पहले ही कह चुके हैं कि हाइड्रो प्रोजेक्ट रुकने से उत्तराखंड को हर साल 1800 करोड़ का नुकसान हो रहा है. वह कह चुके हैं कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के राज्य की जलविद्युत परियोजनाओं के मुद्दे पर अन्यायपूर्ण रूख से राज्य के सभी महत्वपूर्ण हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट रुक सकते हैं, जिसका देश की ऊर्जा सुरक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ना तय है.

इसी तरह गंगा की सफाई के लिए वह प्रदेश के लिए 10 हजार करोड़ का पैकेज मांग रहे हैं तो 2014-15 के लिए भी चार हजार करोड़ का पैकेज मांग चुके हैं. अब मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री तक ईको सेंसिटिव जोन को लेकर केंद्र के खिलाफ नया मोर्चा खोला है.

मंगलवार को उन्होंने ईको सेंसिटिव जोन के पक्षधरों पर तंज कसते हुए कहा कि ईको सेंसिटिव जोन का मास्टर प्लान बनाना आसान नहीं है. उन्होंने यह सलाह तक दे डाली कि जो लोग ईको सेंसिटिव जोन के प्रणोता माने जा रहे हैं, वही इसका मास्टर प्लान बनाकर दे दें.

सांसद से लेकर आम कार्यकर्ता तक शामिल होंगे 18 दिसंबर के सत्याग्रह में

प्रदेश की उपेक्षा के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर में आयोजित एक दिवसीय सत्याग्रह में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के नेतृत्व में प्रदेशभर के सभी कांग्रेसी सांसद, पूर्व सांसद, विधायक, पूर्व विधायक, जिला अध्यक्ष, ब्लॉक व नगर अध्यक्ष, जिला व ब्लॉक व नगर सदस्यता प्रभारी, जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जिला सहकारी बैंकों के अध्यक्ष, प्रमुख, पूर्व प्रमुख, अनुसांगिक संगठनों और प्रकोष्ठों के अध्यक्षगण, दर्जा प्राप्त कांग्रेससियों सहित पार्टी के सभी नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे.

कांग्रेस के कार्यक्रम प्रभारी राजेंद्र शाह ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने सभी राज्यवासियों और दिल्ली में निवास कर रहे प्रवासी उत्तराखंडियों से भी सत्याग्रह में शामिल होने की अपील की है.

ये हैं कांग्रेस संगठन की मांगें

1-उत्तर-पूर्व के राज्यों की तरह सभी उत्तराखंडियों को केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण

2- उत्तराखंड को फिर से अगले 10 वर्षो के लिए विशेष औद्योगिक पैकेज

3-मुख्यमंत्री के गंगा को प्रदूषण मुक्त करने व जल संवर्धन के प्रथम चरण प्रस्ताव को मंजूरी

4-पर्यावरण की रक्षा के लिए ग्रीन बोनस के प्रस्ताव को तत्काल मंजूरी

5-2014 में आई आपदा से राहत व पुनर्वास के लिए 4000 करोड़ की मदद

6-आईडीपीएल स एचएमटी जैसे उपक्रमों के पुनर्जीवन के लिए आर्थिक पैकेज

7-प्रदेश में गंगा स्वच्छता अभियान चलाने के लिए 10 हजार करोड़ का पैकेज.



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