उत्तराखंड के युवाओं की पहली पसंद सेना

Last Updated 14 Dec 2014 03:21:01 PM IST

सैन्य पृष्ठभूमि का उत्तराखंड के युवाओं पर गहरा असर पड़ रहा है.


युवाओं की पहली पसंद सेना (फाइल फोटो)

जिन युवाओं की पिछली पीढ़ियां सेना से दूर रहीं, अब वे भी सेना को पसंद कर रहे हैं. हालांकि, ऐसे परिवार तो हैं ही जो पीढ़ी दर पीढ़ी सैन्य सेवाओं में जाना खुद के लिये गौरव महसूस करते हैं.

प्रेमनगर स्पेशल विंग निवासी सुमित सकलानी अंतिम पग पार करते ही सेना के अभिन्न अंग बन गये हैं. उनकी मां शीतल सकलानी गृहिणी हैं तो पिता केएन सकलानी असम राइफल्स में हवलदार हैं. ऐसे में बेटे को सेना में अफसर बनते देख पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है. आमवाला प्रेमनगर निवासी हरेन्द्र सिंह नेगी को अफसर बनता देख माता सावित्री देवी की आंखें भर आई. पिता नारायण सिंह नेगी के सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उनका निधन होने पर भी मां ने पुत्र को देश सेवा में भेजा.

मां का सपना था कि बेटा सेना में अफसर बने और अपने परिवार नाम रोशन करें. देहरादून सचिवालय में सेक्शन अधिकारी तैनात सुनील डोभाल बेटे अभिषेक डोभाल के अफसर बनने से काफी खुश थे. बद्रीपुर निवासी डोभाल के परिवार में आज तक कोई सेना में नहीं गया. लेकिन बेटे के अफसर बनने पर पूरा परिवार गौरवान्वित महसूस कर रहा था. दीपक कुमार पांडेय सेना में अफसर बनने के बाद गर्व महसूस कर रहे हैं.

हल्द्वानी निवासी दीपक के पिता टीसी पांडेय भी सेना से सूबेदार सेवानिवृत्त हुए हैं. जबकि भाई हर्षित पांडेय इंजीनियर हैं. ऐसे में परिवार के सेना में जाने की परंपरा को बनाए रखते हुए उन्होंने अपनी पहली पसंद सेना में जाने की चुनी. विक्रम बोरा चंपावत लोहाघाट भी अफसर बने हैं. सेना में यह उनकी दूसरी पीढ़ी है.

विक्रम के पिता उमेश सिंह बोरा हवलदार सेवानिवृत्त हुए हैं. विक्रम का शुरू से सपना सेना में जाने का था. मूल रूप से रानीखेत पिरली निवासी व हाल दिल्ली निवासी वरुण बिष्ट ने शुरू से सेना में जाने का मन बना लिया था. अकादमी में कदम रखते ही उनका यह सपना पूरा हो गया. वरुण के पिता दिल्ली जल बोर्ड में अधिकारी हैं. अल्मोड़ा रानीखेत निवासी विजय बिष्ट भी सेना में अफसर बन गये हैं. विजय के पिता सुरेन्द्र बिष्ट हार्टिकल्चर विभाग में एडीओ हैं.

उन्होंने कहा कि सेना उनकी पहली पसंद रही है. उनके परिवार की पहली पीढ़ी सेना में आई है. हर्ष मिश्रा की दूसरी पीढ़ी सेना में आ गई है. अफसर बने हर्ष मिश्रा मूल रूप से बागेश्वर के रहने वाले हैं. उनके पिता जीसी मिश्रा ग्रुप कैप्टन सेवानिवृत्त हुए हैं और वर्तमान में एयर चार्टर्ड सर्विस में हैं. हर्ष का भाई दूरदर्शन दिल्ली में कार्यरत है. चेतन जोशी अफसर बनकर खासे खुश हैं. वे घर में सैन्य परिवेश को देखकर ही बड़े हुए.

इसके चलते सेना में जाने का मन उन्होंने पहले ही बना लिया था. हल्द्वानी निवासी चेतन के दादा यशोदर जोशी सूबेदार व पिता एसके जोशी भी सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हुए. अफसर बने कविन्द्र सिंह महर ने सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से शिक्षा हासिल की. सैनिक स्कूल में प्रवेश करते ही उनका सपना सेना में जाने का रहा.

पिथौरागढ़ निवासी कविन्द्र के पिता अनूप सिंह महर लेक्चरार हैं. मूल रूप से अल्मोड़ा द्वाराहाट और वर्तमान में दिल्ली निवासी अक्षत जोशी का सपना सेना में जाने का शुरू से था. इसके लिए माता-पिता ने भी उन्हें प्रोत्साहित किया. सेना की आन, बान, शान को देखकर जोशी ने इसे अपना लक्ष्य बना लिया और आखिर में उन्हें सफलता मिल गई. पिता टीडी जोशी जेपी ग्रुप में कार्यरत हैं.



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