जरूरतमंदों का मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मदद : रावत
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मदद पाने का विशेषाधिकार जरूरतमंदों का है.
जरूरतमंदों को CM विवेकाधीन कोष (फाइल फोटो) |
देहरादून में रावत ने कहा कि इसलिये हर विधायक के लिये इसमें कोटा निर्धारित करने की कोई जरूरत नहीं है.
राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से धन आवंटन के लिये हर विधायक का कोटा निर्धारित किये जाने की भाजपा सदस्यों की मांग पर रावत ने कहा कि ऐसा किये जाने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इस कोष से मदद पाने का विशेषाधिकार जरूरतमंदों का है न कि विधायकों का.
उन्होंने यह भी कहा कि इस कोष से मदद पाने के लिये जरूरतमंद लोग विधायकों की सिफारिश के अलावा स्वयं या सामाजिक संगठनों के माध्यम से भी आते हैं.
इससे पहले, भाजपा सदस्य मदन कौशिक ने शून्यकाल में विशेषाधिकार हनन का मामला उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की स्वीकृति के बावजूद जरूरतमंदों को विवकाधीन कोष से पैसा नहीं मिल पा रहा है.
इस संबंध में उन्होंने आरोप लगाया कि कम से कम विपक्षी सदस्यों के विधानसभा क्षेत्रों में स्वीकृति के बावजूद मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष का पैसा नहीं मिल पा रहा है.
कौशिक की बात का संजय गुप्ता और अन्य भाजपा विधायकों ने भी समर्थन किया और कहा कि विवेकाधीन कोष के वितरण के लिये हर विधायक का कोटा निर्धारित किया जाना चाहिये.
इस पर मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि इस कोष के तहत पहले 2012-13 की लंबित स्वीकृतियों का धन बांटा गया और फिर बाद की स्वीकृतियों का निस्तारण किया गया जिसमें बजट समाप्त हो गया.
उन्होंने कहा कि विधानसभा के चालू सत्र में इस कोष के लिये अतिरिक्त बजट की मांग रखी जायेगी और धनराशि मिलते ही स्वीकृतियों का निस्तारण कर दिया जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के क्षेत्रों को अलग करने के लिये कहीं कोई छलनी नहीं लगायी गयी है और यह पूरे प्रदेश का मसला है.
इस मसले पर मुख्यमंत्री का आासन आने के बाद भाजपा विधायक कौशिक ने अपनी विशेषाधिकार हनन की सूचना को वापस ले लिया.
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