पहाड़ों पर विपरीत परिस्थितियों में खेती की विकसित तकनीक
रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान हल्द्वानी ने सब्जियों की सफलतापूर्वक खेती की तकनीक विकसित की है.
रक्षा वैज्ञानिकों ने बढ़ाया सब्जी उत्पादन (फाइल फोटो) |
पहाड़ों में विपरीत परिस्थितियों में खेती की इस विकसित तकनीक से अब किसान परम्परागत खेती की तुलना में चार गुना अधिक तक सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अधीन काम करने वाले इस संस्थान ने विपरीत परिस्थिति में भरपूर पैदावार देने वाली सब्जियों की किस्में भी तैयार कर ली है. इन सब्जियों में संकर प्रजाति का खीरा, टमाटर, शिमला मिर्च, बंदगोभी, मटर, करेला और लौकी शामिल है.
पहाड़ी क्षेत्र जहां अत्यधिक ठंड पड़ती है वहां खुली दशाओं में सब्जियों को उगाना संभव नहीं है. इसके साथ ही अधिक वर्षा होने पर फल सड़ जाता है. ऐसे स्थानों पर पाली हाउस या ग्लास हाउस में आसानी से सब्जियों का उत्पादन लिया जाता है.
संस्थान के सूत्रों ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों के ग्रीन हाउस में टमाटर और शिमला मिर्च की दो-दो फसलें तथा खीरा की तीन फसलों आसानी से उगाई जा सकती है. ग्रीन हाउसों में समय के पूर्व सब्जियों के पौधों को तैयार कर लिया जाता है और फिर उसे समय पर खेतों में लगा दिया जाता है.
संस्थान ने संकर खीरा की डीएआरएल 101, 102 संकर टमाटर की डीएआरएल 304, संकर शिमला मिर्च की डीएआरएल 202, 206 संकर बंदगोभी की 801 मटर की डीएआरएल 401, टमाटर की डीएआरएल 62, करेला की डीएआरएल 41 और लौकी की डीएआरएल 5 किस्में विकसित की है.
निचली पहाड़ियों और ऊं ची पहाड़ियों पर सालों भर सब्जियों का उत्पादन किया जा सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि निचली पहाडियों में फरवरी मार्च में कद्दू, बीन्स, टमाटर, लौकी, करेला और ककड़ी की फसल को लगाया जा सकता है. बैगन और मिर्च की फसल को अप्रैल में लगाया जा सकता है.
संस्थान के सूत्रों ने बताया कि निचली पहाड़ियों में फरवरी में आलू की फसल लगाई जा सकती है जो मई-जून तक तैयार हो जायेगी. इसी प्रकार ऊंची पहाड़ियों में आलू की फसल को मार्च-अप्रैल में लगाया जा सकता है जो सितंबर-अक्टूबर तक तैयार हो जायेगा. इस दौरान किसानों को आलू की बहुत अच्छी कीमत मिल सकती है.
इसके साथ ही इन स्थानों पर फूल गोभी,बंद गोभी,प्याज,लहसून, पालक, चौलाई, शलजम, मूली, भिंडी, धनियां, मेथी, लोबिया, अरबी, मटर, गाजर आदि की फसल भी ली जा सकती है.
संस्थान का मानना है कि दस मीटर लम्बे, पांच मीटर चौड़े और पांच मीटर ऊंचे ग्रीन हाउस में एक परिवार के लिए तरह-तरह की सब्जियों की भरपूर फसल ली जा सकती है.
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