उत्तराखंड में जल्द होगी लोकायुक्त की नियुक्ति: रावत

Last Updated 23 Nov 2014 03:42:11 PM IST

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जोर देकर कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार विरोधी संस्था का गठन जल्द कर दिया जाएगा.


उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत (फाइल फोटो)

रावत ने कहा, लोकायुक्त की नियुक्ति में हम कहीं देर नहीं लगा रहे हैं और इसका गठन बहुत जल्द कर दिया जायेगा.
     
इस सप्ताह रावत की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिये 180 दिन की समयसीमा को समाप्त करने के लिये संशोधन अधिनियम लाने को मंजूरी दी गई जिसके बाद राज्य में अटकलों का बाजार गर्म हो गया कि कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार विरोधी कानून को लागू नहीं करना चाहती और उसे ठंडे बस्ते में डालना चाहती है.
     
हालांकि, इस बाबत रावत ने राज्य मंत्रिमंडल के निर्णय को सही नजरिये से देखे जाने की जरूरत बताते हुए साफ किया कि 180 दिन की समयसीमा में लोकायुक्त की नियुक्ति की कार्रवाई करना संभव नहीं है और इसीलिये यह बाध्यता समाप्त की गई.
     
उन्होंने कहा, लोकायुक्त संस्था की नियुक्ति के लिये कई काम करने हैं. सबसे महत्वपूर्ण काम एक खोज समिति बनाना है जो इसके लिये योग्य उम्मीदवारों का चयन करेगी और यह सब इतनी जल्दी हो पाना संभव नहीं है.
      
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार लोकायुक्त के गठन के लिये प्रतिबद्ध है और इसके लिये प्रक्रिया बहुत जल्दी शुरू कर दी जायेगी.
      
इस साल की शुरूआत में तत्कालीन विजय बहुगुणा सरकार के कार्यकाल में राज्य विधानसभा में उत्तराखंड लोकायुक्त अधिनियम पारित किया गया था जिसके तहत लोकायुक्त की नियुक्ति 180 दिन के अंदर होनी थी.

हालांकि, इसकी तय समयसीमा के 26 अगस्त को खत्म होने से दो दिन पहले ही हरीश रावत सरकार ने एक अध्यादेश लाकर 180 दिन की बाध्यता को समाप्त कर दिया और अब राज्य मंत्रिमंडल ने इसकी जगह एक अधिनियम लाने का फैसला किया है.
      
यह पूछे जाने पर कि क्या वह राज्य में लोकायुक्त के गठन के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद में लोकपाल विधेयक लाये जाने का इंतजार कर रहे हैं, रावत ने इससे इंकार करते हुए कहा कि लोकपाल का मामला प्रधानमंत्री जानें, हम अपने राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति कर देंगे.
     
इस वर्ष जनवरी में उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में पारित लोकायुक्त अधिनियम को खारिज करने के बाद संसद द्वारा पारित लोकपाल के आधार पर नया लोकायुक्त पारित किया गया था.
      
नये कानून के तहत, लोकायुक्त का अध्यक्ष उच्च न्यायालय का सेवानिव्त्त न्यायाधीश होगा और उसके अलावा इसमें पांच अन्य सदस्य होंगे. मुख्यमंत्री का पद लोकायुक्त की जांच के दायरे में रखा गया है.
     
इस बीच, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ बीजेपी सांसद भुवन चंद्र खंडूरी ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह लोकायुक्त की नियुक्ति में हीलाहवाली कर रही है और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये उसके पास राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है.      



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