उत्तराखंड के केदारनाथ में स्मृतियों का ‘संगम’
केदारनाथ में मारे गये लोगों की स्मृति वाटिका बनाने के लिए बदरीनाथ-केदारनाथ समिति को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
केदारनाथ में स्मृतियों का ‘संगम’ (फाइल फोटो) |
यह वाटिका केदारनाथ मंदिर के पीछे सरस्वती और मंदाकिनी नदियों के संगमस्थल पर बनेगी. वाटिका का नाम सुफल आशीर्वाद होगा. इस स्थल पर आपदा में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि देने के अलावा पितृ तर्पण व अन्य धार्मिक अनुष्ठान किये जा सकेंगे.
प्रदेश कैबिनेट की बैठक में बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के इन दोनों प्रस्तावों को हरी झंडी दे दी गई है. पिछले वर्ष जून में आई भीषण आपदा में हजारों की संख्या में लोगों की जान चली गई थी. आपदा के कारण केदारपुरी का अधिकांश हिस्सा तबाह हो गया था. मंदिर के पीछे आपदा के जख्म अब भी हरे हैं. यहां बड़े- बड़े बोल्डर और मलबा तो आज भी सिहरन पैदा कर देता है.
बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति इसी स्थान पर आपदा में मारे गए लोगों की स्मृति में स्मृति वाटिका बनाना चाहती है. वाटिका में ब्रह्म कमल के फूल और बुग्याल (मखमली घास) तैयार की जाएगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्म कमल भगवान शिव का प्रिय फूल है.
इसलिए समिति इसी फूल की पौध को वाटिका में रोपित करेगी। इसके साथ ही समिति मंदाकिनी और सरस्वती नदी के संगम स्थल पर घाट का भी निर्माण करेगी. इस घाट को केदार सुफल आशीर्वाद नाम दिया जाएगा. घाट बनाने का मुख्य मकसद मंदिर में होने वाली भीड़ को कम करना है.
इसी घाट पर तीर्थ पुरोहित अपने यजमानों की पूजा, तर्पण व अन्य धार्मिक अनुष्ठान कर सकेंगे. पहले तीर्थपुरोहित हंसकुंड में अपने यजमानों के पित्रों का तर्पण कराते थे. मगर आपदा में हंस कुंड का नामोनिशान मिट गया है. ऐसे में केदारनाथ धाम में पितृ तर्पण के भी कोई सुव्यवस्थित स्थान नहीं बचा है. अब घाट (केदार सुफल आशीर्वाद) बनने के बाद यही पर तर्पण होगा. स्मृति वाटिका और केदार सुफल स्थल के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है.
उम्मीद है कि जल्द ही इस पर काम भी शुरू हो जाएगा. खासकर सुफल आशीर्वाद स्थल बन जाने के बाद केदारनाथ में होने वाली भीड़ नियंत्रित हो जाएगी. यह स्मृति वाटिका आपदा में मारे गए लोगों की याद में बनाई जा रही है.
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