केदारनाथ में उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक
सोमवार 20 अक्टूबर को केदारनाथ में होने जा रही कैबिनेट की बैठक को कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
केदारनाथ में कैबिनेट सियासी स्टंट (फाइल फोटो) |
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने केदारनाथ में आयोजित होने वाली राज्य मंत्रिमंडल की बैठक को सरकार का सियासी स्टंट करार दिया है.
भाकपा (माले) के गढ़वाल प्रभारी इंद्रेश मैखुरी का कहना है कि केदारनाथ कैबिनेट राज्य की स्थितियां सुधारने में नाकाम मुख्यमंत्री हरीश रावत के राजनीतिक दिवालियेपन की परिचायक है.
मुख्यमंत्री इससे जनता के प्रति सरकार के कामकाजी होने का भ्रम पैदा करना चाहते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि आपदा पीड़ितों को समुचित राहत पहुंचाने का मामला हो या बेरोजगारों को रोजगार देने का मसला, सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह नाकाम रही है. जिस केदारनाथ में बैठक कर मुख्यमंत्री तारीफ का सेहरा अपने सिर बांधना चाहते हैं,उसी केदारघाटी में आपदा राहत के वितरण में बड़ा घोटाला सामने आया है.
इसमें सत्ताधारी पार्टी की विधायक समेत तमाम नेताओं पर भी अंगुली उठी है. परन्तु नित नई जुमलेबाजी करनेवाले मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी से जुड़े व्यापारी की आत्महत्या और आपदा घोटाले पर एक शब्द बोलना गवारा नहीं किया.
मंत्रिमंडल की केदारनाथ में होने वाली बैठक, घोटाले के आरोपों से ध्यान हटाने की कोशिश है. इस तरह प्रदेश भर में घूम-घूम कर मंत्रिमंडल की बैठकें करना सार्वजानिक धन का अपव्यय और बर्बादी है.
भाजपा को घेरते हुए इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत का यह कहना कि सरकार हेलीकॉप्टर की बजाय सड़क मार्ग से केदारनाथ जाए, भाजपा की राजनीतिक नासमझी को ही प्रकट करता है और यह भी सिद्ध करता है कि राज्य सरकार की इस स्टंटबाजी और जनता के धन की बर्बादी पर उसे कोई ऐतराज नहीं है.
गौरतलब है कि बैठक को लेकर सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं. मंत्रियों के अतिरिक्त सीमित संख्या में ही अधिकारी केदारनाथ जाएंगे. बैठक केदारनाथ मंदिर की बायीं ओर बने प्रवचन हॉल में होगी.
इस बीच केदारनाथ में बिजली व्यवस्था व पेयजल की आपूत्ति सुचारु कर दी गई है. इसके अलावा प्रशासन ने आपातकालीन बिजली की व्यवस्था की है.
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