बालकृष्ण पर मनी लांड्रिंग का केस बंद
योग गुरु बाबा रामदेव के नजदीकी सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से बड़ी राहत मिल गई है.
बालकृष्ण (फाइल) |
पासपोर्ट एक्ट उल्लंघन मामले में प्रवर्तन निदेशालय को उनके खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे साबित हो सके कि उन्होंने प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) का उल्लंघन किया हो, लिहाजा ईडी ने मामले को बंद कर दिया.
सूत्रों के अनुसार सीबीआई मुकदमे के बाद पासपोर्ट एक्ट के उल्लंघन मामले में पीएमएलए के तहत जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने लंबे समय की जांच के बाद मामले को बंद कर दिया, क्योंकि बालकृष्ण के खिलाफ जांच के दौरान जो भी सबूत इकट्ठे किए गए थे, वे पर्याप्त नहीं थे, जिससे पीएमएलए की जांच को आगे बढ़ाया जा सके.
जांच में ऐसे कोई सबूत नहीं मिल पाए जिससे साबित हो सके कि योग गुरु बाबा रामदेव के निकटतम सहयोगी बालकृष्ण ने पासपोर्ट एक्ट का उल्लंघन करके किसी भी तरह की संपत्ति बनाई हो जिसको तकनीकी भाषा में अपराध कहा जा सके.
इस मामले को प्रवर्तन निदेशालय मुख्यालय ने मई माह के दौरान देहरादून जोन को जांच के लिए भेजा था और कहा था कि मामले की जांच के बाद रिपोर्ट मुख्यालय को भेजे.
बालकृष्ण के खिलाफ ईडी द्वारा चलाए जा रहे मुकदमे को, जिसमें योग गुरु से संबंधित संस्था के विदेशों में निवेश की जांच, अभी जारी रखा गया है, मगर बालकृष्ण के पासपोर्ट मामले को बंदकर उन्हें क्लीनचिट यह कहकर दे दी कि बालकृष्ण ने इस कानून के उल्लंघन के बाद किसी प्रकार की कमाई नहीं की है.
प्रवर्तन निदेशालय ने पाससोर्ट एक्ट के उल्लंघन मामले को सीबीआई द्वारा दर्ज मुकदमे को आधार बनाया था. सीबीआई ने जुलाई, 2011 में धारा 420 और 120बी के तहत इंडियन पासपोर्ट एक्ट के तहत कुछ धाराएं लगाकर मुकदमा दर्ज किया था.
उन पर आरोप था कि इन्होंने दो डिग्रियां मध्यमा और हाई स्कूल की 1991 में ली गई शास्त्री की डिग्री और साथ ही साथ 1996 में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा ली गई डिग्री के आधार पर पासपोर्ट बनवाया था.
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