उत्तराखंड में डाक्टरों के लिए दुर्गम में दो साल सेवा अनिवार्य

Last Updated 20 Sep 2014 05:05:46 AM IST

उत्तराखंड में डाक्टरों की बहुप्रतिक्षित स्थानांतरण नीति लागू कर दी गई है.


उत्तराखंड में डाक्टरों की बहुप्रतिक्षित स्थानांतरण नीति लागू

पीएमएचएस संवर्ग के चिकित्सकों को नई नीति तहत प्रथम नियुक्ति और पदोन्नति पर दुर्गम क्षेत्रों में सेवा देनी अनिवार्य की गई है. सुगम व दुर्गम के लिए रेलवे हेड से दूरी को आधार बनाया गया है. जनपद हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर को संपूर्ण और पौड़ी, नैनीताल, देहरादून व चंपावत के तराई-मैदानी क्षेत्र को सुगम में वर्गीकृत किया गया है. प्रत्येक दशा में 30 अप्रैल तक तबादले कर दिये जाएंगे. दुर्गम में तैनाती के साथ ही अगली पोस्टिंग भी दे दी जाएगी.

दुर्गम दो वर्ष पूर्ण होते ही संबंधित चिकित्सक स्वयं कार्यमुक्त हो जाएंगे और नई तैनाती स्थल में अपना योगदान दे सकेंगे. पति एवं पत्नी को यथासंभव एक ही जनपद में एक श्रेणी के चिकित्सालय में तैनात किया जाएगा. दुर्गम में तैनाती पर  परिवार को अन्यत्र शहर में रखने पर मकान किराया भत्ता उसी शहर का अनुमन्य होगा. डिप्लोमा व पीजी करने के लिए अनिवार्य रूप से दो वर्ष  दुर्गम में सेवा देनी होगी.

दुर्गम क्षेत्र में सेवा देने वाले चिकित्सकों को प्रोत्साहन स्वरूप मूल वेतन का 20 प्रतिशत अतिरिक्त दिया जाएगा. शुक्रवार को चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव ओमप्रकाश ने नई स्थानांतरण नीति जारी कर दी. इसके तहत चिकित्सा संस्थाओं को रेलवे हेड से दूरी के आधर पर सुगम व दुर्गम के रूप में पांच श्रेणी में चिह्नित किया गया है. इस वर्गीकरण में रेलवे हेड से 25 किमी से अधिक दूरी पर स्थित पर्वतीय स्थानों को दुर्गम माना गया है. अस्पतालों को चिकित्सा सेवाओं के आधार पर पांच कैटेगरी में बांटा गया है.

नीति के अनुसार नव नियुक्त चिकित्सा अधिकारी की पहली तैनाती अनिवार्य रूप से दुर्गम क्षेत्र में की जाएगी. इसी प्रकार चिकित्सकों को ज्येष्ठता के क्रम में अस्पतालों के कैटेगरी के आधार पर तैनाती दी जाएगी. दो वर्ष की सेवा अवधि समाप्त होने पर उसे विकल्प के आधर पर सुगम क्षेत्रों में ज्येष्ठता क्रम में रिक्तियों के आधार पर तैनाती मिलेगी. वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के पद पर पदोन्नति के फलस्वरूप प्रथम तैनाती दुर्गम क्षेत्र के चिकित्सालयों में ज्येष्ठता के आरोही क्रम में तैनाती दी जाएगी.  संयुक्त निदेशक के पद पर प्रोन्नत चिकित्सकों को भी दुर्गम में तैनाती दी जाएगी.

20 वर्ष की सेवा पूर्ण करने के उपरांत उच्चतर पदों पर प्रोन्नति के फलस्वरूप होने वाले स्थानांतरण के लिए शासन स्तर पर निर्णय लिया जाएगा. 30 जून की तिथि को आधार मानते हुए स्थानांतरण के लिए सेवा अवधि का आगणन किया जाएगा. दुर्गम क्षेत्रों में होने वाले स्थानांतरण के आदेश में ही यह अंकित कर दिया जाएगा कि दो वर्ष पूर्ण होते ही संबंधित चिकित्सक स्वयं कार्यमुक्त हो जाएंगे और वे महानिदेशक कार्यालय में अथवा नई तैनाती स्थल में योगदान दे सकेंगे. 

सेवानिवृत्ति में दो वर्ष शेष रहने पर चिकित्सक का स्थानांतरण यथासंभव आवेदन के आधार पर इच्छित स्थान पर करने पर विचार किया जाएगा. किसी भी चिकित्साधिकारी को चिकित्सा प्रकृति के पदों पर उनके गृह जनपद या गृह विकासखण्ड में भी तैनाती दी जा सकती है.

यदि किसी चिकित्सक का जिला मुख्यालय को छोड़कर पर्वतीय क्षेत्र में स्थानांतरण होता है और वे अपने परिवार को अन्यत्र शहर में रखते हैं तो उन्हें मकान किराया भत्ता उस शहर का अनुमन्य होगा, जहां परिवार रह रहा है.  जिन चिकित्सकों को सरकारी आवास आवंटित है, वे दुर्गम में स्थानांतरण के बाद भी अपने परिवार को पूर्व के स्थान पर रख सकते हैं.  विभागीय व्यय पर डिप्लोमा व पीजी करने पर अनिवार्य रूप से दो वर्ष के लिए दुर्गम स्थान पर तैनाती दी जाएगी. दंत चिकित्सकों पर भी यही नीति लागू होगी.



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