तीन साल में गंगा होगी निर्मल : उमा भारती
गंगा नदी तीन साल में निर्मल हो जाएगी. मंगलवार को देहरादून में भाजपा प्रदेश कार्यालय में जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा पुनरोद्धार मंत्री उमा भारती ने यह दावा किया.
जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा पुनरोद्धार मंत्री उमा भारती (फाइल फोटो) |
भारतीय वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) और वाडिया इंस्टीटय़ूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के कार्यक्रमों में शिरकत कर भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुंची उमा भारती ने अपने मंत्रालय के नमामि गंगे कार्यक्रम का विस्तृत खाका सामने रखा.
उमा भारती ने कहा कि हाल में सुप्रीम कोर्ट ने गंगा की सफाई पर जो टिप्पणी की है वह नई सरकार के कार्यकाल पर नहीं बल्कि 1985 से अब तक यानी पिछले 29 साल में हुए कामकाज पर थी. सुप्रीम कोर्ट ने तो केंद्र सरकार को इस काम में हर संभव मदद का ही भरोसा दिया है. उमा भारती ने गंगा के प्रदूषण पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि इस बात का अध्ययन किया जा रहा है कि आखिर किन वजहों से गंगा जल विशिष्ट है. उन्होंने कहा कि मंत्रालय नागपुर स्थित नेशनल एनवायर्नमेंट इंजीनियरिंग इंस्टीटय़ूट (नीरी) से गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक गंगा के जल की गुणवत्ता की अध्ययन करवा रहा है.
नीरी जनवरी तक अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप देगा. नीरी गंगा की गुणवत्ता के प्रदूषण के कारणों और गंगा की निर्मलता फिर से लौटाने के लिए सुझाव देगा. उन्होंने कहा कि ये सुझाव गंगा और उसकी सहायक नदियों पर ही नहीं बल्कि देश की सभी नदियों पर लागू होंगे. उन्होंने कहा कि एफआरआई और वाडिया संस्थान में आकर उन्हें पता लगा कि हिमालय के पर्यावरण के संरक्षण के लेकर कितना बेहतर शोध हुआ है लेकिन इन शोधों में ढूंढे गए उपायों को कभी लागू नहीं किया लेकिन अब केंद्र सरकार इस दिशा में काम करेगा.
उन्होंने कहा कि एफआरआई में दो घंटे गुजारकर उन्हें पता लगा कि दुनिया के पर्यावरण को यूरोप ने बिगाड़ा है लेकिन इस बचाने का रास्ता अब पूरब से निकलेगा. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी आधुनिक युग के भगीरथ बनेंगे क्योंकि उन्होंने मां गंगा को उसकी अविरलता व निर्मलता लौटाने का संकल्प लिया है. ईको सेंसिटिव जोन को लेकर एक सवाल पर उन्होंने कहा कि दरअसल स्थानीय स्तर पर इसे लागू करने में दिक्कते हुई हैं जिससे लोग इसके विरोध में आ गए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लोगों के विरोध के कारणों पर विचार करेगी.
गंगा में जल परिवहन शुरू करने को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में उमा भारती ने कहा कि इस बारे में जहाजरानी मंत्रालय को फैसला लेना है. अभी यह केवल विचार के स्तर पर है जब मंत्रालय प्रस्ताव लाएगा तब उनका मंत्रालय अपनी राय बताएगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि गंगा नदी में बहुत पहले भी जहाज चलते रहे हैं. जल मार्ग से परिवहन व ढुलान सड़क मार्ग से पांच गुना सस्ता बैठता है.
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