1857 के शहीदों की अस्थियां गंगा में विसर्जित
पंजाब के अमृतसर स्थित अजनाला में मारे गए 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के 282 शहीदों की अस्थियों को 157 साल बाद गंगा में विसर्जित की गईं.
शहीदों की अस्थियां गंगा में विसर्जित |
28 फरवरी को शहीदी कुएं से खुदाई कर निकाली गईं 1857 की क्रांति के शहीदों की अस्थियों को सुबह साढ़े 10 बजे कनखल हरिद्वार के सती घाट पर लाया गया. अस्थियों के विसर्जन के दौरान अंतिम विदाई देने उमड़े जनसमूह की आंखें आजादी के परवानों की वीरता और उन्हें दी गई यातनाओं के किस्से सुन नम हो आईं.
इससे पहले उत्तराखंड पुलिस ने शहीदों की अस्थियों को सलामी दी. 1857 में अमृतसर के अजनाला में अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों को गोली मारकर कुएं में दफन कर दिया था. गत फरवरी
माह में अस्थियों को खुदाई कर बाहर निकाला गया.
रविवार को शहीदी कुआं स्मारक सलाहकार कमेटी पंजाब सरकार के पदाधिकारी व सदस्य शहीदों की अस्थियों को लेकर कनखल पहुंचे. श्री गंगा सभा, गायत्री तीर्थ शांति कुंज, कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता, स्थानीय लोग व उत्तराखंड पुलिस के जवान यहां पहले से मौजूद थे.
तिरंगे में लिपटे बॉक्स में शहीदों की अस्थियों को रखा गया था. सबसे पहले उत्तराखंड पुलिस के जवानों ने शहीदों की अस्थियों को सलामी दी तो वहां मौजूद लोगों ने देश भक्ति के नारे लगाए. बाद में वीर शहीदों के जयकारों के साथ अस्थियों को गंगा में विसर्जित कर दिया गया.
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