उत्तराखंड : भूमि आवंटन मामले की होगी जांच
पुनर्वास के नाम पर फर्जी तरीके से गुर्जरों को जमीन आवंटन का मामला प्रकाश में आया है.
उत्तराखंड में भूमि आवंटन मामले की होगी जांच |
पिता का नाम बदलकर फर्जी तरीके से गैंडीखाता में एक गुजर ने करीब दस बीघा भूमि हासिल कर ली है. मामला संज्ञान में आने पर पार्क प्रशासन ने जांच बिठा दी है.
गुर्जर बस्ती गैंडीखाता; हरिद्वार के प्लाट नंबर 528 में मीरहमजा पुत्र नूरआलम ने फर्जी तरीके से सराजदीन को पिता बताकर पुनर्वास नीति केतहत वर्ष 2004 में भूमि अलाट करा ली. करीब दस वर्ष बाद इस मामले में प्लाट नंबर 526 के आवंटित गुलामदीन पुत्र स्व. सराजदीन ने श्यामपुर थाना सहित राजाजी राष्ट्रीय पार्क के निदेशक व वन क्षेत्राधिकारी को प्रार्थनापत्र देकर मीरहमजा द्वारा फर्जी तरीके से भूमि आवंटित कराने की शिकायत दर्ज की है.
गुलामदीन का कहना है कि उसके पिता सराजदीन की लगभग 50 वर्ष पहले मृत्यु हो गई थी. मीर हमजा पुत्र नूरआलम नाम के व्यक्ति जिसकी उम्र लगभग 32 साल है, ने स्वयं को मोहम्मद अली तथा पिता का नाम स्व़ सराजदीन बताते हुए अवैध तरीके से प्लाट आवंटित करा लिया.
अब वह इस आवंटित भूमि पर कब्जा कर खेती भी कर रहा है. उसने आरोप लगाए है कि वर्ष 2006 में मीरहमजा ने वोटर आईडी कार्ड में पिता का नाम नूरआलम दर्ज करवाया जबकि वर्ष 2007 में फिर से वोटर आईकार्ड बनवाकर पिता का नाम सराजदीन लिखवाल लिया है.
गुलामदीन का यह भी कहना है कि उसके पिता सराजदीन की पत्नी सेनबीबी ने नूरआलम से करीब 40 वर्ष पूर्व पुनर्विवाह कर लिया था. इसके बावजूद वह भी विस्थापन से छुटे परिवारों में अपना नाम दर्ज करवाकर पुन: वन विभाग को भ्रमित कर भूमि आवंटित कराना चाहती है.
इस संबंध में राजाजी पार्क के निदेशक एसपी सुबुद्धी ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आ गया है. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि मीरहमजा को वर्ष 2004 में भूमि आवंटित की गई थी. दस वर्ष बाद इस मामले की गुलामदीन द्वारा शिकायत दर्ज कराना संदेह के घेरे में है.
बावजूद इसके शिकायत पर विस्तृत जांच के लिए वाईडल लाईफ वार्डन को जांच सौंप दी गई है. जिसमें यह देखने को कहा गया है कि मीरहमजा का वास्तविक पिता कौन है और वह पुनर्वास नीति के तहत भूमि आंवटन का हकदार है या नहीं.
उन्होंने कहा कि यदि मीरहमजा ने फर्जी तरीके से काजगात तैयार किए है तो धारा 420 के तहत पुलिस उसके खिलाफ कार्यवाही करेगी. यदि वह नीति के तहत भूमि पाने के हकदार नहीं होगा तो उक्त सारी भूमि पार्क प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में आ जाएगी.
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