उत्तराखंड विधान सभा उपचुनाव में बीजेपी की बड़ी हार, कांग्रेस की बल्ले-बल्ले, कांग्रेस के तीनों प्रत्याशी जीते
उत्तराखंड विधान सभा उपचुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी फैक्टर पूरी तरह से फेल हो गया वहीं कांग्रेस ने बाजी मार ली है.
उत्तराखंड मुख्यमंत्री हरीश रावत |
लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद विभिन्न राज्यों में मुश्किल दौर से गुजर रही कांग्रेस को आज उत्तराखंड से खुशखबरी मिली जहां
मुख्यमंत्री हरीश रावत की अगुवाई में पार्टी ने विधानसभा उपचुनाव में तीनों सीटों पर भाजपा को पटखनी देते हुए जीत हासिल की.
दिलचस्प बात यह रही कि हाल में हुए लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के चलते प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटें गंवाने वाली कांग्रेस ने धारचूला के अलावा अन्य दोनों विधानसभा सीटें भाजपा के कब्जे से छीनी हैं.
प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूडी ने बताया कि धारचूला विधानसभा सीट से बतौर कांग्रेस प्रत्याशी मुख्यमंत्री रावत ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के बीडी जोशी को 29604 मतों के बड़े अंतर से पराजित किया.
रावत को जहां 31214 वोट हासिल हुए वहीं जोशी को उसके केवल एक तिहाई 10610 मत पड़े.
डोइवाला से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने पूर्व कृषि मंत्री और भाजपा उम्मीदवार त्रिवेंद्र सिंह रावत को 6512 मतों के अंतर से हराया. बिष्ट को जहां 35980 वोट मिले, वहीं रावत को 29468 मत मिले.
सोमेर (सुरक्षित) सीट पर ऐन चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई रेखा आर्य ने भाजपा प्रत्याशी मोहनराम आर्य को 10045 मतों से हराया. रेखा को 23241 वोट हासिल हुए वहीं आर्य के पक्ष में केवल 13196 मत पड़े.
तीनों विधानसभा सीटें जीतना प्रदेश की कांग्रेस सरकार के साथ ही मुख्यमंत्री के लिये भी काफी अहम है. इसी साल एक फरवरी को राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले रावत को छह माह के भीतर यानी आगामी 31 जुलाई तक राज्य विधानसभा का निर्वाचित सदस्य बनना संवैधानिक बाध्यता थी.
प्रदेश में गत 21 जुलाई को उपचुनाव हुए थे. मुख्यमंत्री रावत के लिये उनके करीबी माने जाने वाले हरीश धामी ने गत जून में अपनी धारचूला सीट से इस्तीफा दे दिया था जबकि अन्य दोनों सीटें, डोइवाला और सोमेर भाजपा विधायकों के लोकसभा सांसद चुने जाने के कारण रिक्त हुई थीं.
डोइवाला विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व जहां पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक कर रहे थे वहीं सोमेर सीट से अजय टम्टा विधायक थे. दोनों ही सीटों को भाजपा नहीं बचा पायी.
वहीं, तीनों सीटें जीतने के बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार को भी मजबूती मिली है. 70 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या अब 35 पहुंच गयी है जो बहुमत के 36 से सिर्फ एक कम है.
उधर, वर्ष 2012 में विधानसभा चुनावों में 31 सीटें जीतकर कांग्रेस के 32 के मुकाबले सिर्फ एक सीट पीछे रही भाजपा के विधायकों की संख्या अब घटकर 28 रह गयी है.
भाजपा और कांग्रेस के अलावा, विधानसभा में सात सदस्य गैर कांग्रेस गैर भाजपा विधायकों के मोर्चा प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा (पीडीएफ) के हैं जो सरकार में शामिल है.
भाजपा को पटखनी देकर तीनों सीटों को अपने खाते में जोड़ने से जहां रावत का पार्टी के अंदर कद और बढ़ गया है वहीं लोकसभा चुनावों में करारी हार झेलने के बाद विभिन्न राज्यों में मुश्किल के दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी के लिये भी उत्तराखंड उम्मीद की एक किरण लेकर आया है.
Tweet |