उत्तराखंड में तीन पूर्व मुख्यमंत्री मैदान में
उत्तराखंड में इस बार तीन पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी पौड़ी संसदीय क्षेत्र, भगत सिंह कोश्यारी नैनीताल व डॉ. रमेश पोखरियाल हरिद्वार से चुनाव लड़ रहे हैं.
उत्तराखंड में तीन पूर्व मुख्यमंत्री मैदान में |
उत्तराखंड में लोकसभा के लिए 7 मई को मतदान होगा. इस बार का लोकसभा चुनाव वर्ष 2004 और 2009 के मुकाबले ज्यादा दिलचस्प है, क्योंकि भाजपा ने अपने तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों मेजर जनरल (अवकाश प्राप्त) भुवन चंद्र खंडूड़ी को पौड़ी संसदीय क्षेत्र, भगत सिंह कोश्यारी को नैनीताल व डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को हरिद्वार से चुनाव मैदान में उतारा है. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने खास रणनीति के तहत ही प्रदेश के इन तीनों दिग्गजों को मैदान में उतारा है.
दरअसल, भाजपा प्रदेश में अपनी सेकेंड लाइन तैयार करना चाहती है. सूत्रों के अनुसार इन तीनों वरिष्ठों को चुनाव मैदान में उतारने के पीछे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की मंशा साफ है कि यदि प्रदेश भाजपा के तीनों वरिष्ठ चुनाव जीत जाते हैं तो इन तीनों का सीधा दखल प्रदेश की सियासत में कम हो जाएगा. इससे प्रदेश भाजपा में गुटबाजी की संभावना खत्म हो जाएगी.
असल में राजनीति के जानकार यह मानकर चल रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद जून में उत्तराखंड की सत्ता पर काबिज हरीश रावत सरकार को भाजपा झटका देने की कोशिश कर सकती है. अभी हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए सतपाल महाराज के समर्थक करीब सात विधायक एक अलग गुट बनाकर कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर सकते हैं और भाजपा की सरकार के लिए समर्थन जुटाने की बाजीगरी कर सकते हैं.
सतपाल महाराज की पत्नी अमृता रावत हरीश रावत कैबिनेट में अब भी मंत्री हैं. प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता यह कह चुके हैं कि हरीश सरकार अब अल्पमत में आ गई है. मगर कांग्रेस सरकार को लोकसभा चुनाव तक छेड़ने का कोई भी इरादा नहीं है. अब लोकसभा चुनाव के बाद ही कांग्रेस सरकार पर भाजपा निशाना साधेगी और सरकार गिराने की कोशिश करेगी.
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व यह मानकर चल रहा है कि यदि तीनों पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव जीत जाते हैं और उत्तराखंड में सरकार बनाने का मौका मिलता है तो प्रदेश की बागडोर संभाल चुके खंडूड़ी, कोश्यारी व निशंक प्रदेश की राजनीति से अलग-थलग पड़ जाएंगे. इस स्थिति में दूसरी लाइन के नेताओं में किसी को भाजपा बतौर मुख्यमंत्री पेश कर सकती है. यदि तीनों में कोई हार जाता है तो भी शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री की दौड़ से उन्हें अलग कर देगा.
पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट खंडूड़ी के लिए नई नहीं है. खंड़ूड़ी यहां से चार बार सांसद रहे चुके हैं. उसके बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें वर्ष 2007 में प्रदेश का मुख्यमंत्री पहली बार बनाया. फिर वे सितम्बर, 2011 में दोबारा मुख्यमंत्री बनाए गए. उस समय मुख्यमंत्री की दौड़ में प्रदेश भाजपा के कई दिग्गज लगे रहे, मगर खंडूड़ी की बेदाग छवि के आगे कोई भी नहीं टिक पाया. खंड़ूड़ी इस बार फिर चुनाव मैदान में हैं.
पौड़ी संसदीय क्षेत्र में पूरा राजनीतिक समीकरण सर्विस वोटरों और नये मतदाताओं पर टिका है. यहां नये वोटरों की संख्या 29,410 हैं, जबकि सर्विस वोटर 43,700 हैं. खंडूड़ी के मुकाबले कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. वर्ष 2009 में पौड़ी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार सतपाल महाराज चुनाव जीते थे जो अब भाजपा में शामिल हो गये हैं. खंडूड़ी को इसका फायदा मिलने की उम्मीद है.
भगत सिंह कोश्यारी नैनीताल से चुनाव लड़ रहे हैं. यहां कांग्रेस ने 2009 में विजयी रहे अपने सांसद केसी सिंह बाबा को फिर मैदान में उतारा है. नैनीताल में नए वोटरों की संख्या 36,684 हैं, जबकि सर्विस वोटर 9,980 हैं. हार-जीत में इन वोटरों की अहम भूमिका मानी जा रही है. बाबा यदि चुनाव जीत जाते हैं तो उनकी हैट्रिक मानी जाएगी. कोश्यारी वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं और उनका कार्यकाल 25 नवम्बर 2014 को पूरा हो रहा है. वह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ हरिद्वार से चुनाव मैदान में हैं और पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. यहां नए वोटरों की संख्या 33,818 हैं, जबकि 5,854 सर्विस वोटर हैं.
यह सीट कांग्रेस के लिए बेहद खास है, क्योंकि यहां से मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत चुनाव मैदान में हैं. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में हरीश रावत हरिद्वार से ही विजयी हुए थे. हरिद्वार में आप से प्रदेश की पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य चुनाव मैदान में हैं, जबकि बसपा से हाजी मो. इस्लाम चुनाव मैदान में हैं. हरिद्वार में बसपा का अपना वोट बैंक है. बसपा प्रदेश में हरीश रावत की सरकार का समर्थन भी कर रही है. मुख्यमंत्री की पत्नी रेणुका रावत के यहां से चुनाव लड़ने से हरिद्वार वीआईपी सीट हो गयी है.
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