उत्तराखंड : गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान बड़ा मुद्दा
एक ओर मुख्यमंत्री समेत प्रदेश के कांग्रेस नेता लोकसभा चुनाव में राज्य की पांचों सीटों पर विजय पताका फहराने का दावा कर रहे हैं.
उत्तराखंड : गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान बड़ा मुद्दा |
दूसरी ओर गन्ना मूल्य के बकाये के भुगतान का वादा पूरा नहीं हो पाने से किसान नाराज हैं. किसानों की नाराजगी का सर्वाधिक असर हरिद्वार व नैनीताल सीटों पर पड़ सकता है.
इसका कारण यह है कि राज्य की नौ चीनी मिलों में से पांच नैनीताल संसदीय क्षेत्र और चार हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में हैं. हरिद्वार से मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी रेणुका कांग्रेस प्रत्याशी हैं.
प्रदेश सरकार की कमान कांग्रेस के हाथ में जरूर है, लेकिन मुखिया का चेहरा बदलता रहा है. पहले विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री थे तो अब हरीश रावत हैं. इन दोनों नेताओं ने सीएम बनने के बाद चीनी मिलों पर बकाये गन्ना मूल्य के भुगतान के वादे किसानों से किये मगर किसानों के करीब 508.26 लाख रुपये बकाये का भुगतान नहीं हो पाया.
पहले सांसद फिर केंद्रीय मंत्री और अब मुख्यमंत्री के तौर पर हरीश रावत से गन्ना किसानों को काफी उम्मीद थी. रावत ने भी उनकी मांग को जायज करार दिया था और लोकसभा चुनाव से पहले ही गन्ना मूल्य के बकाये का भुगतान कराने का आश्वासन भी दिया था, मगर अब तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है.
बतौर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी गन्ना किसानों को आश्वासन देते रहे. जब वह सितारगंज से विधायक का चुनाव लड़े तो किसानों ने खुलकर साथ दिया था, लेकिन ढाई साल के उनके कार्यकाल में किसानों को मायूसी ही मिली.
नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार विधानसभा चुनाव में गन्ना किसानों से वादा किया था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तो किसानों के गन्ना मूल्य के बकाये का भुगतान सरकार की प्राथमिकता होगी. लेकिन सरकार बनी तो वह इस प्राथकिता को भूल गये. अब मतदान बताएगा कि गन्ना किसानों की नाराजगी का ऊंट किस करवट बैठता है.
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