हिमस्खलन से हुई केदारनाथ में तबाही का खुलासा
हिमस्खलन से हुई केदारनाथ में तबाही के कारणों का वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकों ने किया खुलासा.
केदारनाथ(फाइल) |
देहरादून में केदारनाथ में आई भारी तबाही के राज से पर्दा उठता जा रहा हैं. ग्लेशियोलॉजी के विशेषज्ञों ने आठ दिनों के अध्ययन के बाद यह खुलासा किया हैं कि जून में केदारनाथ सहित मंदाकिनी के तटों पर मची तबाही का कारण सुमेरू पर्वत से निकला एवलांच (हिमस्खलन) था. इस एवलांच ने गांधी सरोवर में एकत्र 1,200 एमएलडी पानी को एक साथ बाहर फेंक दिया, जो इतनी बड़ी तबाही का कारण बना.
विशेषज्ञों ने मंदाकिनी की धारा के स्थान बदलने को भविष्य के लिए भी बड़े खतरे का संकेत बताया हैं. वाडिया हिमालयन भूविज्ञान संस्थान के पांच विशेषज्ञों ने डा. डीपी डोभाल के नेतृत्व में इस तवाही के कारणों की पड़ताल की तो यह सच सामने आया हैं.
इस टीम ने गुप्तकाशी से लेकर गांधी सरोवर तक इस तबाही को खूब बारीकी से देखा. अध्ययन के बाद विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे हैं.कि गांधी सरोवर में बारिश से एकत्र करीब 1,200 एमएलडी पानी स्वत: ओवरफ्लो नहीं हुआ, बल्कि सुमेरू पर्वत से रात के समय टूटे भारी-भरकम एवलांच ने पानी को पूरे वेग के साथ सरोवर के बाहर फेंक दिया.
एक झटके में इतना पानी बाहर आ जाने के कारण केदारनाथ मंदिर के पीछे मंदाकिनी का परंपरागत गलियारा पूरी तरह ध्वस्त हो गया और उसने जहां भी जगह मिली तबाही मचानी शुरू कर दी.
सरोवर से निकली भारी जलराशि के वेग ने मंदाकिनी के तटों पर बसे रामबाड़ा, गौरीकुंड, सोनप्रयाग, कुंड, चंद्रपुरी, गबनीगांव, गंगानगर, विजयनगर, अगस्त्यमुनी, सिल्ली और तिलवाड़ा में भी भारी तबाही मचाई.
इस तबाही के पीछे अब तक सिर्फ कयासबाजी ही चल रही थी. बादल फटने या भारी बारिश से गांधी सरोवर को ओवरफ्लो होने की आशंकाएं भी जताई जा रही थीं. वाडिया इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों का यह पहला वैज्ञानिक खुलासा हैं, जो पूरे इलाके के अध्ययन के बाद सामने आया हैं.
वैज्ञानिकों ने पाया हैं कि मंदाकिनी की धारा पानी के भारी बेग से अपने मूल स्थान को छोड़कर काफी बड़े हिस्से में दूसरी तरफ बढ़ गई हैं.
केदारनाथ में ही इसने मंदिर के पीछे अपनी मूल निकासी को छोड़ पूरी घाटी को चपेट में ले लिया था. मंदिर पानी के वेग के साथ ही बहकर आये एक बड़े चट्टान की वजह से बच गया, मगर मंदिर से सटे इलाकों में भारी तबाही मची. गांधी सरोवर से निकली भारी जलराशि ने मंदाकिनी के किनारों में बसे ज्यादातर नगरों को अपनी चपेट में ले लिया.
डा. डोभाल का कहना हैं कि एवलांच इतना भारी था. कि उससे गांधी सरोवर को पूरी तरह नेस्तनाबूत कर दिया.
हालत यह हैं कि वहां सरोवर का स्वरूप ही खत्म हो गया हैं. उन्होंने बताया कि मंदाकिनी घाटी में उभरे नये खतरों पर अध्ययन किया गया हैं और जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्रालय और राज्य सरकार को सौंप दी जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह की तबाही रोकने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किये जा सकें.
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