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14 Jun 2011 08:18:41 AM IST
Last Updated : 14 Jun 2011 12:02:15 PM IST

गंगा पर अनशनरत संत निगमानंद की मौत

मातृसदन के संत स्वामी निगमानंद सरस्वती का निधन

गंगा नदी को बचाने के लिए 115 दिनों से अनशन पर मातृसदन के संत स्वामी निगमानंद सरस्वती का निधन हो गया.

वह कुंभ मेला क्षेत्र को खनन मुक्त कराए जाने सहित गंगा को लेकर कई मांगों पर 115 दिनों से अनशनरत थे. स्वामी निगमानंद के निधन से हरिद्वार के संत समाज में गहरा शोक व्याप्त हो गया.

गंगा शुद्धि, अवैध खनन व कुंभ क्षेत्र को पूरी तरह खनन मुक्त करने की मांग को लेकर मातृ सदन के संत निगमानंद सरस्वती ने अपना अनशन रूपी तप इसी वर्ष 19 फरवरी से आश्रम मेंही शुरू कर दिया था. 27 अप्रैल तक उनका अनशन आश्रम में ही जारी रहा. इस दौरान मातृ सदन के आंदोलन को देशभर से भी जनसमर्थन भी मिलता रहा. हालत बिगड़ने पर 27 अप्रैल को निगमानंद को जांच के बाद जिला प्रशासन ने हरमिलाप राजमीय जिला चिकित्सालय में भर्ती करा दिया.

इसी बीच 30 अप्रैल को चिकित्सालय में ही निगमानंद को 30 अप्रैल को ही किसी  नर्स द्वारा जहर दिए जाने का मामला खूब गरमाया. जिसकी पुष्टि बाद में जौलीग्रांट हिमालयन इंस्टीट्यूट से भी हो गई थी. निगमानंद के दो मई को कोमा में चले जाने पर जौलीग्रांट स्थित हिमालयन चिकित्सालय मे लिए रेफर कर दिया गया. तभी से वह कोमा में चल रहे थे. सोमवार दोपहर करीब दो बजे स्वामी निगमानन्द ने चिकित्सालय में ही अंतिम सांस ली. बताया गया कि निगमानंद खनन मामले में शासनादेश के विपरीत न्यायालय से हुए स्थगनादेश को लेकर भी खफा थे.

निगमानंद के निधन का समाचार मिलते ही मातृ सदन पूरी तरह शोक में डूब गया. आश्रम से जुड़े लोग व अनुयायियों का भी यहां तांता लगना शुरू हो गया.  समाचार लिखे जाने तक उनका शव आश्रम नहीं पहुंचा था. मातृ सदन का कहना है कि निगमानंद का पोस्टमार्टम स्थानीय चिकित्सकों से नहीं कराया जाएगा. पीएम टीम में उन्होंने एम्स के चिकित्सकों को भी शामिल करने की मांग राज्य सरकार से की है. मातृ सदन ने पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई कराने की भी मांग की है.  

आश्रम  में फिलहाल किसी भी प्रकार की अशांति न हो प्रशासन द्वारा मौके पर पुलिस बल व कई अधिकारियों को तैनात कर दिया है. ज्यों-ज्यों मातृ सदन के अनुयायी यहां पहुंच रहे हैं, तनावपूर्ण खामोशी का माहौल बनता जा रहा है. भक्तों में इस मामले में शासन द्वारा गंभीर रुख न अपनाए जाने को लेकर भारी रोष है. उन्होंने संत का पोस्टमार्टम बाहर के डाक्टरों से कराने की मांग की है.


 

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