यूपी विधानसभा चुनाव: पहले चरण की अधिसूचना जारी

Last Updated 17 Jan 2017 12:05:27 PM IST

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण की अधिसूचना मंगलवार को जारी कर दी गयी. इसके साथ ही पूर्वाह्न 11 बजे से नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है.


(फाइल फोटो)

इस दौर में राज्य के मुस्लिम बहुल पश्चिमी क्षेत्र के 15 जिलों की कुल 73 सीटों के लिये आगामी 11 फरवरी को मतदान होगा.

निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार, नामांकन की प्रक्रिया 24 जनवरी तक चलेगी. अगले दिन नामांकन पत्रों की जांच होगी. नाम वापसी की आखिरी तारीख 27 जनवरी होगी.

राज्य में 11 फरवरी से आठ मार्च के बीच सात चरणों में मतदान होगा.

पहले चरण के चुनाव में शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, बुलन्दशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा और कासगंज जिलों में मतदान होगा.

इस चरण में ज्यादातर उन विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. इस चरण में वर्ष 2013 के दंगों के जख्म सहन करने वाले मुजफ्फरनगर एवं शामली के जिलों में भी मतदान होगा. वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इन क्षेत्रों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था.

पहले चरण का चुनाव खासकर बसपा अध्यक्ष मायावती और उनकी पार्टी के लिये लिटमस टेस्ट जैसा होगा. मायावती इस बार चुनाव में दलित-मुस्लिम वोट बैंक पर भरोसा करके चुनावी नैया पार लगाने का मंसूबा बांध रही हैं.

मायावती ने इस बार सबसे ज्यादा 97 (403 में से) मुसलमानों को चुनाव का टिकट दिया है. पहले चरण का चुनाव यह तय करेगा कि बसपा की यह रणनीति कितनी कारगर होती है और क्या वह वर्ष 2012 के मुकाबले मुस्लिम वोट बैंक में और गहरी सेंध लगा पाती है या नहीं.

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुल 136 सीटों में से सपा को 58 और बसपा को 39 सीटें मिली थीं.

प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा की अंदरूनी खींचतान सोमवार को एक तार्किक मोड़ पर पहुंची, जब चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अगुवाई वाले गुट को असली समाजवादी पार्टी ठहराते हुए उसे ही ‘साइकिल’ चुनाव निशान का हकदार माना था. बहरहाल, यह देखने वाली बात होगी कि सपा पश्चिमांचल में वर्ष 2012 जैसी कामयाबी दोहरा पायेगी या नहीं.

पहले दो चरणों में मतदाताओं, खासकर अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं का रझान मुस्लिम वर्ग के रख को तय कर सकता है. इससे तय हो जाएगा कि चुनावी मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है या भाजपा और बसपा के बीच, अथवा यह त्रिकोणीय लड़ाई होगी.

चूंकि पहले चरण का चुनाव मुस्लिम बहुल इलाकों में हो रहा है, इसलिये असदउद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम भी असर डाल सकती है.
 

 

भाषा


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