नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने की कार्रवाई 21 अगस्त की बजाय अब 28 अगस्त से शुरू की जाएगी।
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न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ नोएडा प्राधिकरण की दलीलों से सहमत थे, जिसका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र कुमार ने किया। नोएडा प्राधिकरण की याचिका में कहा गया है, "किसी भी तकनीकी खराबी या मौसम संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए 29 अगस्त से 4 सितंबर तक 7 दिन का समय दिया जाय।"
शीर्ष अदालत ने सुपरटेक के ट्विन टावरों को गिराने की नई समय सीमा 21 अगस्त के बजाय 28 अगस्त तय की थी।
29 जुलाई को केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसे आसपास की इमारतों के संरचनात्मक ऑडिट, विस्फोट के कारण उत्पन्न कंपन के प्रभाव, विध्वंस के बाद के मलबे आदि के बारे में जानकारी नहीं मिली है।
शीर्ष अदालत को एडिफिस इंजीनियरिंग ने आश्वासन दिया था कि 21 अगस्त को विध्वंस किया जाएगा। हालांकि, सीबीआरआई के एक वैज्ञानिक डी.पी कानूनगो ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि संस्थान को ट्विन टावरों के विध्वंस के संबंध में पूरी जानकारी नहीं मिली है और शुल्क के रूप में 70 लाख रुपये भी बकाया हैं। शीर्ष अदालत ने नोएडा प्राधिकरण को विध्वंस प्रक्रिया के संबंध में सीबीआरआई से मदद लेने को कहा था।
कानूनगो ने कहा कि संस्थान को स्ट्रक्च रल ऑडिट, वाइब्रेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट और टेस्ट ब्लास्ट पर अतिरिक्त जानकारी की जरूरत है, जो बिल्डिंग साइट पर किया गया था। उन्होंने कहा कि 30 भूमिगत गैस पाइपलाइन है, जो संरचना से 30 मीटर से 50 मीटर दूर है और इस पर विध्वंस के प्रभाव का पता लगाना महत्वपूर्ण है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआरआई विस्फोट के डिजाइन, जमीनी कंपन, विध्वंस के बाद के मलबे आदि और आस-पास की इमारतों के संरचनात्मक ऑडिट के बारे में जानकारी चाहता है। कानूनगो ने कहा कि एक निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी, जो संरचनात्मक ऑडिट रिपोर्ट के बराबर नहीं है और साथ ही एडिफिस को सीबीआरआई को पूर्ण सहयोग देना चाहिए।
मामले में विस्तृत दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने सीबीआरआई के वैज्ञानिक को इस मामले में संबंधित पक्षों को आवश्यक जानकारी के बारे में एक ईमेल लिखने के लिए कहा और नोएडा प्राधिकरण को 6 अगस्त को सभी पक्षों की बैठक बुलाने के लिए कहा है।
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