विधानसभा उप चुनाव में कल 88 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे मतदाता

Last Updated 02 Nov 2020 05:52:24 PM IST

उत्तर प्रदेश विधानसभा की सात सीटों पर उप चुनाव के लिए मंगलवार को होने जा रहे मतदान में निर्दलीय समेत कुल 88 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला मतदाताओं के हाथ में होगा। निर्वाचन आयोग ने सकुशल चुनाव संपन्न कराने की तैयारी पूरी कर ली है।


उप चुनाव में कल 88 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला

जिन सातों सीटों पर तीन नवंबर को मतदान होना है उनमें से छह सीटें पहले सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास थीं और एक सीट समाजवादी पार्टी (सपा) के पास रही है। इस उपचुनाव का परिणाम 10 नवंबर को आएगा।    

हाथरस और बलरामपुर में दलित समुदाय की महिलाओं के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के बाद कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार विपक्ष के चौतरफा हमलों का सामना कर रही है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने शनिवार को जौनपुर और देवरिया की चुनावी सभाओं में एलान किया कि उनकी सरकार ‘लव जिहाद‘ से निपटने के लिए एक कानून लाएगी।      

पिछले सप्ताह भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने उप चुनाव के लिए आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार के लिए बुलंदशहर में अभियान शुरू किया था। चंद्रशेखर के नेतृत्व में बनी आजाद समाज पार्टी का इस उप चुनाव में पहली बार परीक्षण होगा कि दलित मतदाताओं के बीच उनकी पकड़ कितनी मजबूत है। आजाद समाज पार्टी का उदय भीम आर्मी के राजनीतिक आंदोलन के फलस्वरूप हुआ है। आजाद समाज पार्टी ने बुलंदशहर में मोहम्मद यामीन को अपना उम्मीदवार बनाया है।    

उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा‘ को बताया कि सातों सीटों पर जहां उप चुनाव होना है वहां निष्पक्ष, शांतिपूर्ण, समावेशी और कोविड-19 के दृष्टिगत सुरक्षित मतदान के लिए समस्त तैयारी पूरी कर ली गई है। शुक्ला ने मतदाताओं से अपेक्षा की है कि कोविड-19 से सुरक्षा के लिए किये गये उपायों का पूरी तरह पालन करते हुए शारीरिक दूरी बनाकर मतदान करें।          

सातों सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में निर्दलीय समेत कुल 88 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें सर्वाधिक 18 प्रत्याशी बुलंदशहर सीट पर हैं। जौनपुर जिले की मल्हनी सीट पर 16 उम्मीदवार आमने-सामने हैं। अमरोहा जिले की नौगांव-सादात सीट और देवरिया सीट पर 14-14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इसके अलावा फिरोजाबाद की टूंडला और उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर 10-10 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट पर सबसे कम छह उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।    

भाजपा, सपा, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस चुनाव में अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। कुछ सीटों पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन ने भी अपने प्रत्याशी उतारे हैं।    

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देवसिंह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं डॉ. दिनेश शर्मा तथा पार्टी पदाधिकारियों एवं अन्य मंत्रियों ने डिजिटल माध्यम से संवाद के अलावा चुनाव क्षेत्रों में जाकर लगातार जनसभाएं और जनसंपर्क किया।    

राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजनसिंह ने कहा, ‘यह चुनाव सत्तारुढ दल के लिए वाकई प्रतिष्ठा का सवाल है, क्योंकि 2017 के आम चुनाव में इनमें से छह सीटें भाजपा ने जीती थीं। अगर इन सीटों पर भाजपा को दोबारा जीत नहीं मिली, तो इसके निहितार्थ निकाले जाएंगे।‘    

राजीव ने कहा कि इस उप चुनाव में सरकार की लोकप्रियता के आकलन के साथ ही 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का भी पूर्वाभ्यास हो रहा है।          

स्वतंत्र देवसिंह ने दावा किया कि सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीतेंगे।    

हालांकि सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि सपा का लक्ष्य 2022 का विधानसभा चुनाव है और जीत की शुरुआत उप चुनाव से ही होगी।    

सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘विधानसभा उप चुनाव में मतदान की तारीख नज़दीक आ रही है, ऐसे में भाजपा अपनी हार की आशंका के चलते चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग और मतदाताओं को भयभीत करने का हथकंडा अपना रही है।’’    

चौधरी ने दावा किया कि छह सीटों पर सपा और एक पर रालोद का उम्मीदवार जीतेगा।    

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी भाजपा सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए दावा किया कि जनता ने भाजपा सरकार को सबक सिखाने की ठान ली है और उप चुनाव में इसका असर दिखेगा।    

उन्होंने कहा कि भाजपा के पतन की शुरुआत इस उपचुनाव से ही होगी और कांग्रेस जीतेगी।    

बीते शनिवार को देवरिया और जौनपुर में चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उनकी सरकार ‘लव जिहाद’ से निपटने के लिए एक कानून लेकर आएगी। योगी ने कहा कि जो लोग बहन-बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करते हैं उनका ‘राम नाम सत्य होगा’। योगी ने लव जिहाद पर रोक लगाने के दावे के साथ चेतावनी दी कि जो लोग अपना नाम छिपाकर बहन-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ करते हैं, अगर नहीं सुधरे तो उनकी राम नाम सत्य की यात्रा शुरू हो जाएगी।    

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोमवार को कहा कि सपा और कांग्रेस मिलकर बसपा से मुस्लिम मतदाताओं को दूर करने के लिए साजिश कर रही हैं लेकिन ऐसा संभव नहीं होगा। उन्होंने इसके पहले रविवार को भी अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए वोट करने की अपील की थी।    

उप चुनावों से अमूमन दूर रहने वाली बसपा ने इस बार विधानसभा की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किये हैं। बसपा के एक नेता ने कहा कि चुनाव परिणाम बसपा के ही पक्ष में आएगा।          

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार में मंत्री रहे पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान के निधन से रिक्त हुई नौगांव-सादात सीट पर भाजपा से उनकी पत्नी संगीता चौहान, कांग्रेस से कमलेशसिंह, सपा से जावेद अब्बास, बसपा से फुरकान और राकांपा से हशमत अली समेत अन्य उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। राज्य सरकार में मंत्री कमल रानी वरुण के निधन के रिक्त हुई घाटमपुर सीट पर भाजपा से उपेंद्र नाथ पासवान, सपा से इंद्रजीत कोरी, बसपा से कुलदीप संखवार और कांग्रेस से डॉ. कृपा शंकर उम्मीदवार हैं।    

विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य सचेतक रहे वीरेंद्रसिंह सिरोही के निधन के बाद भाजपा ने बुलंदशहर सीट पर सिरोही की पत्नी ऊषा सिरोही, बसपा ने मोहम्मद युनूस, कांग्रेस ने सुशील चौधरी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने योगेंद्र शंकर शर्मा, आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन ने दिलशाद अहमद और राष्ट्रीय लोकदल ने प्रवीण कुमारसिंह को मौका दिया है। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर राष्ट्रीय लोकदल को समर्थन दिया है।       

उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर कांग्रेस से आरती बाजपेयी, बहुजन समाज पार्टी से महेश प्रसाद और भारतीय जनता पार्टी से श्रीकांत कटियार चुनाव मैदान में हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने यहां सुरेश कुमार पाल को मैदान में उतारा है। बांगरमऊ सीट विधायक कुलदीप सेंगर के सजायाफ्ता होने से रिक्त हुई है।    

भाजपा विधायक जनमेजयसिंह के निधन से रिक्त हुई देवरिया सीट पर भारतीय जनता पार्टी से सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी, समाजवादी पार्टी से ब्रज शंकर त्रिपाठी, बहुजन समाज पार्टी से अभय नाथ त्रिपाठी और कांग्रेस से मुकुंद भाष्कर तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से अशोक यादव चुनाव मैदान में हैं। देवरिया में भाजपा से टिकट न मिलने पर जनमेजय के पुत्र अजय प्रतापसिंह उर्फ पिंटू निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।      

समाजवादी पार्टी के विधायक पारसनाथ यादव के निधन से रिक्त हुई मल्हनी सीट पर सपा ने लकी यादव, भारतीय जनता पार्टी ने मनोज कुमारसिंह, बहुजन समाज पार्टी ने जयप्रकाश दुबे, कांग्रेस ने राकेश मिश्र और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने सतीश चंद्र उपाध्याय को मौका दिया है। मल्हनी सीट पर पूर्व सांसद धनंजयसिंह भी किस्मत आजमा रहे हैं।    

भाजपा सरकार में मंत्री रहे एसपीसिंह बघेल के आगरा से सांसद बनने के बाद रिक्त हुई टूंडला सीट पर भाजपा से प्रेम पालसिंह धनगर, समाजवादी पार्टी से महराजसिंह धनगर और बहुजन समाज पार्टी से संजीव चक मैदान में हैं। यहां कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन पहले ही निरस्त हो चुका है।

भाषा
लखनऊ


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