कानपुर शेल्टर होम केस: मायावती बोलीं- लीपापोती नहीं, निष्पक्ष जांच हो
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में बालिका संरक्षण गृह की घटना के लिये राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है।
बसपा अध्यक्ष मायावती (फाइल फोटो) |
मायावती ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में बालिका संरक्षण गृह की घटना के लिये राज्य सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
मायावती ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि राज्य सरकार महिला सुरक्षा के प्रति उदासीन बनी हुई है. बहन बेटियों की सुरक्षा सरकार की नीति में शामिल नहीं है।
उन्होंने कहा, ”बसपा की माँग है कि राज्य सरकार कानपुर बालिका संरक्षण गृह के घटना की लीपापोती नहीं करे बल्कि इसको गंभीरता से ले और इसकी उच्च-स्तरीय निष्पक्ष जाँच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। साथ ही, राज्य के सभी बालिका गृह की व्यवस्था में अविलम्ब जरूरी मानवीय सुधार लाए तो बेहतर है।”
1.कानपुर राजकीय संरक्षण गृह में काफी बहन-बेटियों के कोरोना संक्रमित होने व कुछ के गर्भवति होने की खबर से सनसनी व चिन्ता की लहर दौड़ना स्वाभाविक ही है जो पुनः साबित करता है कि यूपी में महिला सम्मान तो दूर उनकी सुरक्षा के मामले में सरकार उदासीन, लापरवाह व गैर-जिम्मेदार बनी हुयी है।
— Mayawati (@Mayawati) June 23, 2020
3.अतः बीएसपी की माँग है कि यूपी सरकार कानपुर बालिका संरक्षण गृह के घटना की लीपापोती न करे बल्कि इसको गंभीरता से ले व इसकी उच्च-स्तरीय निष्पक्ष जाँच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। साथ ही, यूपी के सभी बालिका गृह के व्यवस्था में अविलम्ब जरूरी मानवीय सुधार लाए तो बेहतर है।
— Mayawati (@Mayawati) June 23, 2020
मायावती ने आरोप लगाया कि कानपुर राजकीय संरक्षण गृह में काफी बहन-बेटियों के कोरोना संक्रमित होने और कुछ के गर्भवती होने की खबर से सनसनी तथा चिन्ता की लहर दौड़ना स्वाभाविक ही है और यह घटना पुनः साबित करती है कि उत्तर प्रदेश में महिला सम्मान तो दूर उनकी सुरक्षा के मामले में सरकार उदासीन, लापरवाह और गैर-जिम्मेदार बनी हुयी है।
बसपा नेता ने कहा कि इससे पहले आजमगढ़ में दलित बेटी के साथ अन्याय के मामले में जब सरकार ने सख्त कार्रवाई की थी तो यह देर आये, दुरूस्त आये लगा था, किन्तु सर्वसमाज की बहन-बेटियों के साथ लगातार होने वाली अप्रिय घटनाओं से स्पष्ट है कि आजमगढ़ की कार्रवाई केवल एक अपवाद थी, सरकार की नीति का हिस्सा नहीं।
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