रामजन्मभूमि : अवशेषों को संग्रहित करेगा ट्रस्ट

Last Updated 21 May 2020 08:27:10 PM IST

रामजन्मभूमि परिसर में चल रहे समतलीकरण के दौरान बड़ी संख्या में प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले हैं। रामजन्मभूमि मंदिर इसे संग्रह करके आगे उपयोग में लाना चाहता है।


प्राचीन मंदिर के अवशेष

विहिप संग्राहलय के रूप में समतलीकरण के दौरान बड़ी संख्या में प्राचीन मंदिर के अवशेष संरक्षित करना चाहता है। जिससे आने वाले समय में यह इतिहास की स्मृतियां बन सकें। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा का कहना है, "जन्मभूमि स्थल में जो अवशेष मिल रहे हैं। उसकी योजना बनाकर आगे इसका प्रयोग में लाया जाएगा। यहां पर मिले हर छोटे बड़े पत्थरों का उपयोग होना है। मंदिर परिसर में भारतीय परंपरा की शैली की नक्कासी है। अभी तो लगातार समतीकरण काम चल रहा है। इसमें आगे चलकर कोई निर्णय लिया जाएगा। अभी हमारा उद्देष्य मंदिर निर्माण का है। ट्रस्ट की अगली बैठक व भूमि पूजन का निर्णय देश की परिस्थिति पर निर्भर करता है।"

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार, "अयोध्या में भावी मंदिर के निर्माण के लिए भूमि के समतलीकरण एवं पुराने गैंग-वे को हटाने का काम जारी है। कोरोना महामारी के संबंध में समय-समय पर जारी निदेशरें का पालन करते हुए मशीनों का उपयोग एवं सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन, मास्क समेत अन्य सभी सुरक्षा उपायों का प्रयोग किया जा रहा है।"

चंपत राय ने बताया, "खुदाई में दो शिवलिंग भी मिले हैं. एक शिवलिंग तो 4 फीट 11 ईंट लंबी है। इसके अलावा खुदाई में पुरातात्विक महत्व की कई चीजें मिली हैं। खुदाई के दौरान भारी संख्या में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों के अतिरिक्त 7 ब्लैक टच स्टोन के स्तम्भ, 6 रेड सैंडस्टोन के स्तम्भ सहित 5 फीट का एक शिवलिंग भी प्राप्त हुआ है।"

दरअसल, समतलीकरण का कार्य 11 मई से रामलला के मूल गर्भगृह के आसपास राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की देखरेख में हो रहा है। इसी दौरान की जा रही खुदाई में मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इन पुरातात्विक वस्तुओं को ट्रस्ट द्वारा संरक्षित किए जाने की भी योजना बन रही है।

विहिप के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अंबरीश सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिये जमीन समतल करने के दौरान मंदिरों के अवशेष मिले हैं, इनकों संग्राहलय बनाकर रखा जाएगा। इसके पहले भी जो अवशेष मिले हैं वह भी रखे हैं। इसका अलग से संग्रहलय बनेगा।"

साकेत महाविद्यालय में प्राचीन इतिहास विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. महेन्द्र पाठक ने बताया, "अभी मिलें अवशेषों को देख कर ही बताया जा सकता है। इससे पहले जो मिले हैं, वह काफी प्राचीन है। यह अभी के नहीं है। अभी जो अवशेष मिले है उससे यह प्रतीत होता है कि अयोध्या कई चरणों में बसी है। जो चीजें मिल रही है वह काफी पुरानी है। इनके मिलने से वैसे तो हर प्रकार विवाद में विराम लग जाएगा।

उन्होंने कहा, "यह अवशेष गुप्तकाल के पहले है। इस पर विवाद निर्थक ही रहा है। अयोध्या का पूरा मामला बिल्कुल बनावटी नहीं है। इसका प्रमाण मिलना शुरू हो गया है। इसके लिए पुरातत्व विभाग का एक अधिकारी नियुक्त हो। जिससे हमारी धरोहर संरक्षित हो सके। इसकी जानकारी भी लोगों को मिले।"

आईएएनएस
लखनऊ


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