कांग्रेस के शपथ ग्रहण समारोहों से दूर रहीं सपा व बसपा

Last Updated 17 Dec 2018 03:52:36 PM IST

समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुखों ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह से दूरी बनाए रखी।


शपथ ग्रहण समारोहों से दूर रहीं सपा व बसपा (फाइल फोटो)

विश्लेषक इसे 2019 में लोकसभा चुनाव में बन रही विपक्षी एकता के लिए एक झटका मान रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल ने इस बारे में कहा कि बसपा और सपा दोनों अपने को राष्ट्रीय फलक पर मजबूत मान रही हैं। बसपा मुखिया मायावती अपने को प्रधानमंत्री दावेदार मान रही हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव, अपने पिता मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। पहले भी दोनों पार्टियों ने स्पष्ट रूप से नहीं कहा है कि वे कांग्रेस से गठबन्धन करेंगे ही। मायावती पहले भी कांग्रेस के प्रभाव को स्वीकार नहीं कर रही थीं। अखिलेश यादव दबी जुबान में भले कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को स्वीकार करते हों पर वह बसपा के साथ गठबंधन के प्रयास में बसपा के हिसाब से ही कदम उठाने को तैयार हैं।

राजनीतिक विश्लेषक के. विक्रम राव की मानें तो चेन्नई में एक कार्यक्रम में द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री प्रत्याशी घोषित करते ही गठबंधन ले रहा विपक्ष का आकार छोटा हो गया। हलांकि राहुल के नाम पर किसी दल ने अभी खुलकर विरोध तो नहीं किया पर कांग्रेस के शपथ ग्रहण समारोह में सपा, बसपा का शामिल ना होना इस बात का संकेत जरूर है।

उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता की जो तस्वीर कर्नाटक के शपथ ग्रहण में देखने को मिली थी, वह अब स्टालिन के इस बयान से धुंधली होने लगी है। द्रमुक अध्यक्ष के बयान के बाद से सियासी गलियारों में हलचल पैदा हो गई है। अधिकांश विपक्ष अभी 2019 लोकसभा चुनाव के लिए किसी को प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनाए जाने के पक्ष में नहीं है।

वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र सिंह की मानें तो सपा और बसपा, दोनों गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई दलों का महागबंधन बनाने की जुगत में है। इसीलिए तेलुगू देशम प्रमुख द्वारा बुलाई गई विपक्षी नेताओं की बैठक में दोनों दलों के मुखिया शामिल नहीं हुए। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसीलिए इन लोगों ने राफेल विमान मुद्दे पर भी भाजपा पर ज्यादा कड़ा रुख नहीं अपनाया है। अखिलेश ने तो अब राफेल पर सर्वोच्च न्यायालय की बात मानने की सलाह भी दी है। इससे दोनों दलों का गैर कांग्रेस और गैर भाजपा गठबंधन बनाने का रुझान दिख रहा है।

आईएएनएस
लखनऊ


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