आखिर आरूषि-हेमराज का हत्यारा कौन? अदालत ने कहा, परिस्थितियां नहीं दिखातीं कि तलवार दंपति अकेले साजिशकर्ता थे
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा आरूषि-हेमराज हत्याकांड में तलवार दंपत्ति को बरी करने के फैसले के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इस बहुचर्चित हत्याकांड का दोषी कौन है.
आरूषि मामला: साक्ष्यों के अभाव में तलवार दंपत्ति बरी (फाइल फोटो) |
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि आरूषि-हेमराज हत्याकांड की परिस्थितियों को एकसाथ देखने पर यह प्रबल निष्कर्ष नहीं निकलता कि नूपुर और राजेश तलवार अकेले इस अपराध के साजिशकर्ता थे.
तलवार दंपति ने निचली अदालत के 28 नवंबर 2013 के उस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी, जिसमें उन्हें मई 2008 में 14 साल की बेटी आरूषि और 45 साल के घरेलू सहायक हेमराज की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
न्यायमूर्ति बी के नारायण एवं न्यायमूर्ति ए के मिश्रा ने 273 पेज के अपने फैसले में कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा स्थापित सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, वे तलवार दंपति के पक्ष वाला नजरिया अपना रहे हैं.
न्यायाधीशों ने शीर्ष अदालत के सिद्धांत का हवाला दिया जो कहता है, जितना ज्यादा गंभीर अपराध होगा, उतने ही बड़े साक्ष्य होने चाहिएं.
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले की परिस्थितियों पर एकसाथ विचार करने पर यह प्रबल निष्कर्ष नहीं निकलता कि केवल अपीलकर्ता इस अपराध के साजिशकर्ता हैं और इस मामले में दिये गये साक्ष्यों के आधार पर दो नजरिये संभव हैं, पहला अपीलकर्ताओं की दोषसिद्धि के संकेत देता है, दूसरा उनके निर्दोष होने का और काली राम मामले में शीर्ष अदालत के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, हम अपीलकर्ताओं के पक्ष वाले नजरिये को अपनाते हैं.
अदालत ने कहा, हम फैसला देते हैं कि अभियोजन सभी तार्किक संदेहों से परे आरोपी अपीलकर्ताओं के खिलाफ अपना मामला साबित करने में नाकाम रहा.
उन्होंने कहा कि गाजियाबाद के विशेष सीबीआई न्यायाधीश श्याम लाल द्वारा दी गई उम्रकैद की सजा कायम नहीं रह सकती.
अदालत ने कहा कि दंत चिकित्सक दंपति को हत्या और समान आशय सहित सभी आरोपों से बरी किया जाता है.
न्यायमूर्ति नारायण एवं न्यायमूर्ति मिश्रा ने कल खुली अदालत में फैसला सुनाया था और फैसले की प्रति को आज अदालत की वेबसाइट पर डाला गया.
| Tweet |