बीएचयू के चीफ प्रॉक्टर ने इस्तीफा दिया, वीसी ने किया मंजूर
बीएचयू परिसर में पिछले दिनों हुई घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए चीफ प्रॉक्टर प्रो. ओएन सिंह ने इस्तीफा दे दिया है.
फाइल फोटो |
नारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्रा के साथ कथित छेड़छाड़ और पुलिस के लाठीचार्ज की घटना के बाद मचे बवाल के बीच संस्थान के चीफ प्रॉक्टर प्रो ओंकार नाथ सिंह ने घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
विश्वविद्यालय के सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी डॉ राजेश सिंह ने कल मध्य रात्रि प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी. विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी राजेश सिंह ने बताया कि सिंह ने अपना इस्तीफा मंगलवार देर रात कुलपति जी सी त्रिपाठी को सौंपा, जिसे स्वीकार कर लिया गया है.
प्रो त्रिपाठी का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन घटना की जांच कर रही पुलिस सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को पूरा सहयोग करेगा. उन्होंने कहा कि बीएचयू परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जा रहे हैं. महिला छावासों में महिला सुरक्षा कर्मियों की तैनाती शीघ्र की जाएगी और पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरे एवं रात्रि के समय प्रकाश की व्यवस्था की जाएगी.
इससे पहले उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी के दीक्षित की अगुवाई में एक न्यायिक समिति गठित कर पूरे मामले की जांच कराने की घोषणा की थी.
कल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आर के भारद्वाज ने निष्पक्षता एवं प्रभावी पर्यवेक्षण के मद्देनजर हिंसक घटनाओं एवं इससे जुड़े सभी संबंधित मामले की जांच की जिम्मेदारी अपराध शाखा को सौंपी थी.
भारद्वाज का कहना है कि साक्ष्य जुटाने के लिए पुलिस की साइबर सेल की मदद ली जाएगी, ताकि ¨हसा फैलाने वाले उपद्रवियों और साजिशकर्ताओं पर कानूनी कार्रवाई की जा सके.
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में एक छात्रा ने छेड़छाड़ की शिकायत की थी. उसने आरोप लगाया था कि जब वह परिसर के भीतर ही अपने छात्रावास की ओर लौट रही थी तो मोटरसाइकिल पर सवार तीन लोगों ने उसके साथ छेड़छाड़ की.
गुरूवार को हुई इस घटना के खिलाफ कुछ छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन किया. कुछ विद्यार्थियों ने कुलपति से उनके आवास पर मिलने की कोशिश की जिसके बाद हिंसा फैल गयी. स्थिति नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया.
बीएचयू परिसर में मनचलों से परेशान छात्राएं गत 21 सितम्बर की शाम छेड़खानी की ताजा घटना की शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन से की थी लेकिन आंदोलनकारी छात्राओं का आरोप है कि प्रशासन ने तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की और मामले को टाल दिया.
इसके बाद दोषियों पर कार्रवाई एवं अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर 22 सितंबर की सुबह से कुलपति से मिलने के लिए लगातार धरने पर बैठीं रहीं. बड़ी संख्या में धरना-प्रदर्शन कर रही छात्राओं के आंदोलन के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 22 सितम्बर की देर शाम विश्व प्रसिद्ध दुर्गाकुंड मंदिर एवं तुलसी मानस मंदिर के पूर्व निर्धारित या मार्ग में परिवर्तन करना पड़ा था.
23 सितम्बर की रात कुलपति प्रो गिरीश चंद्रत्रिपाठी से उनकी बातचीत की कोशिशें विफल होने के बाद आंदोलनकारी उनके निवास की ओर बढ़ रहे थे. इसी बीच उनपर लाठियां बरसायीं, जिससे भड़की हिंसक घटनाओं में 12 छात्राएं, कई पत्रकारों एवं पुलिस कर्मियों सहित 18 से अधिक लोग घायल हो गए थे.
प्रो त्रिपाठी ने बाहरी लोगों द्वारा तोड़फोड़ करने, पेट्रोल बम से उन पर हमले की कोशिश करने और एक ट्रैक्टर एवं कई मोटरसाइकिलों को आग लगाने के आरोप लगाये हैं.
हिंसक घटनाओं के बाद बीएचयू परिसर सहित शहर के अलग-अलग स्थानों पर छात्र-छात्राओं का आंदोलन कल तक जारी रहा है. कल बिड़ला छावास के बाहर कई छात्राओं ने सिर मुंडवा कर अपना विरोध जारी रखा. उनका कहना है कि प्रो त्रिपाठी के इस्तीफे तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.
इससे पहले 24 सितंबर को छात्राओं से मिलने आ रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सांसद पीएल पुनिया, प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर, पूर्व विधायक अजय राय सहित लगभग 100 लोगों को पुलिस ने उसी दिन देर शाम गिरफ्तार किया और रात निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया. 25 सितम्बर को लगभग 125 समाजवादी पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को पुलिस ने बीएचयू के मुख्य द्वार ‘सिंहद्वार’ से हिरासत में लेकर बाद में उन्हें छोड़ दिया.
तनावग्रस्त बीएचयू परिसर के हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं, लेकिन एहतियात के तौर पर परिसर में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात हैं. परिसर में आम लोगों की अघोषित आंशिक आवाजाही पर प्रतिबंध हटा लिया गया है.
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