सरकारी विभागों, निगमों, परिषदों और समितियों के सलाहकारों व अध्यक्षों की छुट्टी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने शपथ ग्रहण के दूसरे दिन ही बड़ा फैसला लिया है.
उत्तरप्रदेश के नये मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी |
उन्होंने कई विभागों, निगमों, परिषदों, समितियों आदि में पूर्ववर्ती सरकार के समय में नियुक्त किए गए सभी गैरसरकारी सलाहकारों, अध्यक्षों, उपाध्यक्षों एवं सदस्यों की सेवाओं को तत्काल प्रभाव से समाप्त करते हुए उन्हें कार्यमुक्त करने का आदेश दिया. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने राज्य के अधिकारियों को भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टालरेंस’ की नीति अपनाने का निर्देश देते हुए ईमानदार एवं संवेदनशील अधिकारियों की तैनाती पर जोर दिया और सभी अधिकारियों से 15 दिन के भीतर संपत्तियों का ब्योरा सौंपने को कहा. साथ ही अफसरों से 100 दिन का चार्टर भी तैयार करने को कहा गया है. इसके अलावा योगी ने अधिकारियों को राज्य की कानून व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रखने के साथ ही 24 घंटे में भाजपा के ‘लोक कल्याण संकल्प पत्र-2017’ को पढ़कर लागू करने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश के आला अधिकारियों के साथ पहली बैठक में योगी ने सभी अधिकारियों को स्वच्छता-शपथ भी दिलाई.
उन्होंने नई कार्य संस्कृति विकसित करने के लिए अधिकारियों से 15 दिनों में अपनी सम्पत्तियों का विवरण निर्धारित प्रारूप पर उपलब्ध कराने को कहा. लोकभवन में आयोजित इस बैठक में प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डा. दिनेश शर्मा भी शामिल हुए. बैठक के बाद मौर्य ने कहा, ‘भाजपा के लोक कल्याण संकल्प पत्र के हिसाब से हमारी सरकार क्या चाहती है, अधिकारियों को इसकी जानकारी और निर्देश दिए गए. उसी के अनुसार यूपी में काम होगा.’ योगी ने अधिकारियों से कहा, ‘भाजपा के लोक कल्याण संकल्प पत्र-2017 में किए गए वादों पर विश्वास करके राज्य की जनता ने इतने बड़े बहुमत के साथ सरकार बनाने का काम किया है इसलिए संकल्प पत्र के सभी बिंदुओं को पूरी गम्भीरता एवं संवेदनशीलता के साथ लागू किया जाए.’ मुख्यमंत्री ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों की बैठक में उनका आह्वान किया कि संवेदनशील, जवाबदेह, ऊर्जावान एवं प्रगतिशील व्यवस्था देने के लिए संकल्पित हों. उन्होंने कहा कि प्रत्येक विभाग का सिटीजन चार्टर तैयार किया जाना चाहिए. द भाषा
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