पुराने नोटों को खपाने का नया ’खेल‘
नोट बंदी के बाद पुराने नोटों को खपाने के लिए टैक्स चोरी में संलिप्त कारोबारियों ने उत्तरप्रदेश के वाणिज्य कर विभाग को जरिया बना लिया है.
पुराने नोटों को खपाने का नया ’खेल‘ |
दस्तावेजों में जानबूझकर मामूली खामी छोड़ी जा रही और इसी रास्ते से विभाग में लाखों के पुराने नोट विभाग में पहुंचा दिए जा रहे हैं. ताकि बाद में जमा किए गए इन पैसों को टैक्स में समायोजित करा लिया जाए. यही कारण है कि नोट बंदी के बाद भी वाणिज्य कर विभाग की सचल दल इकाइयों द्वारा टैक्सचोरी के मामले में लगातार ट्रक पकड़े जा रहे है.
टैक्स चोरी में संलिप्त कारोबारी हमेशा काली कमाई करने की जुगत में लगे रहते हैं, अभी तक ये लोग राज्य के बाहर से टैक्स चोरी का माल लाकर यूपी में खपा रहे थे और अब इससे अर्जित की गयी काली कमाई वाणिज्य कर विभाग में खपायी जा रही है. इसके लिए विभाग की सचल दल इकाइयों को बड़ा जरिया बनाया गया है. विभाग की सचल दल यूनिट के अधिकारी राजमार्गों पर बस रेलवे स्टेशन व बस अड्डों पर निगरानी करके टैक्सचोरी का माल पकड़ते हैं. टैक्स चोरी में पकड़े गए माल पर उसकी कुल कीमत पर 40 प्रतिशत की दर से जमानत धनराशि नकद या फिर डीडी या बैंक गारण्टी के रूप में जमा करने के बाद माल छोड़ दिया जाता है.
इसके बाद कारोबारी विभाग के न्यायिक अधिकरण में अपील करता है अपना पक्ष रखता है, अगर वह यह सिद्ध कर देता है कि उसने टैक्सचोरी नहीं की है तो विभाग को निर्धारित समय के भीतर उसे जमा की गयी धनराशि वापस करना होता है, अधिकतर पंजीकृत कारोबारी पैसा वापस न लेकर उसे एडवांस टैक्स के रूप में जमा करवा देते है और बाद में इसका समायोजन हो जाता है.
सचल दल इकाई के अधिकारियों को हर माह लक्ष्य दिया जाता है, जिस वे टैक्स चोरी के मामले में माल पकड़कर जमानत धनराशि जमा करवाकर लक्ष्य पूरा करते हैं. अधिकारियों का प्रयास रहता है कि वे जल्द से जल्द अपना लक्ष्य पूरा करें. अधिकारियों की इसी कमजोरी को टैक्स माफियाओं ने पुराने नोट खपाने का जरिया बना लिया है.
लखनऊ की सचल दल की पांच इकाइयों ने मिलकर प्रतिदिन दस लाख से अधिक की जमानत धनराशि पुराने नोटों से जमा करायी. लक्ष्य पूरा करने के लिए अधिकारियों ने जो माल पकड़कर पैसा जमा कराया है उनमें इतनी कमजोरी है कि दो सुनवाई में ही मामला छूट जाएगा और विभाग को कारोबारी का पैसा वापस करना होगा, जब तक यह प्रक्रिया होगी तब तक वर्तमान के सचल दल अधिकारियों का स्थानान्तरण भी हो चुका होगा, क्योंकि सचल दल अधिकारियों का कार्यकाल एक वर्ष का ही होता है.
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