नोटबंदी से कांग्रेस को यूपी चुनाव में मिलेगा राजनीतिक फायदा: सिब्बल

Last Updated 28 Nov 2016 01:16:49 PM IST

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सोमवार को दावा किया कि ‘नोटबंदी’ से हो रही तकलीफों से पीड़ित आम जनता कांग्रेस की ओर रूख कर सकती है और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में यह साफ नजर आएगा.


कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल (फाइल फोटो)

सिब्बल ने कहा, ‘‘नोटबंदी से आम आदमी को बहुत ज्यादा तकलीफ हुई है और इसका कांग्रेस को राजनीतिक फायदा मिलेगा. बात उत्तर प्रदेश के चुनाव की करें तो इस फैसले से जनता का वोट कांग्रेस के पक्ष में बढ़ना तय है.’’

उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी का फैसला उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया है लेकिन इसका अप्रत्याशित रूप से उलटा असर होगा.

सपा और बसपा द्वारा मुसलमानों से एकमुश्त वोट उनके पक्ष में देने की अपील के बारे में किये गये सवाल पर उन्होंने कहा कि धर्म या जाति के नाम पर वोट मांगना गलत है. ‘‘चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, धर्म के नाम पर वोट मांगना सही नहीं है. ये बात सही है कि सांप्रदायिक ताकतों को दूर रखने के लिए धर्म निरपेक्ष लोगों को एकजुट होना चाहिए लेकिन कोई धर्म के नाम पर वोट मांगे तो गलत है.’’

बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी क्या कोई गठबंधन होगा, इस सवाल पर सिब्बल ने कहा कि उस समय वह प्रयोग समय की जरूरत थी लेकिन उत्तर प्रदेश में वैसे हालात नहीं हैं.

नोटबंदी को जनता के खिलाफ लिया गया फैसला बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे आम जनता परेशानियों का सामना कर रही है लेकिन केन्द्र सरकार इस पर कोई संज्ञान नहीं ले रही है. ‘‘केवल उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए ये फैसला किया गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये नहीं सोचा कि आम आदमी विशेषकर किसान रोजी रोटी कैसे कमाएगा. मजदूरों का क्या होगा? थोक और फुटकर बाजार कैसे चलेगा?’’

सिब्बल ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का फैसला तो ले लिया लेकिन अब उन्हें पता नहीं कि आगे कैसे बढें. नोटबंदी की वजह आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक है. केवल उत्तर प्रदेश के चुनाव जीतने के लिए ये सब कुछ किया जा रहा है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘... ताकि एक धमाका हो और वह (मोदी) गरीबों के मसीहा बन जाएं.’’

उन्होंने कहा कि मोदी ये नहीं सोच पाये कि किसानों, मजदूरों, चाय बागान कामगारों की रोजी रोटी कैसे चलेगी. वह ये नहीं सोच पाये कि थोक और फुटकर बाजार कैसे चलेगा. ‘‘सब्जी वाला तो चेक से पैसे नहीं ले सकता. ट्रक चलाने वाला भी नहीं.’’

सिब्बल ने आंकड़े दिये कि देश की 125 करोड़ आबादी में 60 करोड़ लोगों के पास बैंक खाते नहीं हैं जबकि 32 करोड लोगों के बैंक खातों में बरसों से लेनदेन नहीं हुआ. ‘‘क्या उनके हाथ में काला धन है?’’

उन्होंने विदेश में जमा काले धन से जुडे नामों का खुलासा करने की मांग करते हुए कहा कि जब सरकार के पास सूची है तो नामों को उजागर क्यों नहीं करती?

पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं मशहूर वकील सिब्बल ने कहा कि जिस संसद में जमीन चूमकर सिर झुकाये मोदी ने प्रवेश किया था, आज उसी संसद में प्रधानमंत्री बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं.. देश के चौकीदार ने अपनी आंखें बंद कर ली हैं. वो आराम की नींद सो रहे हैं जबकि गरीब आदमी जाग रहा है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘नोट काला नहीं होता. जो शख्स नोट को काला समझे तो उसकी मंशा काली है. दरअसल काला तो लेनदेन होता है. प्रधानमंत्री को आर्थिक स्थिति की समझ नहीं है. गरीब आदमी के हाथ में जो नोट है, उसे ही काला बता दिया. लगाम लगानी है तो भ्रष्ट लेनदेन पर लगाम लगायी जाए.’’
 

 

भाषा


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