परिवार और सरकार में जारी खींचतान के बीच बोले मुलायम : पार्टी एक परिवार एक
सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव मंगलवार को अपने परिवार और सपा का झगड़ा सामाप्त करने का कोई फार्मूला नहीं दे पाए.
लखनऊ : सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव एवं शिवपाल यादव प्रेस कांफ्रेंस के बाद पार्टी कार्यालय से बाहर आते हुए. |
थोड़े शब्दों की प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि वह पार्टी प्रमुख हैं. पूरी पार्टी एक है. परिवार एक है. मंत्रियों को रखने या न रखने का फैसला सीएम करेंगे. यही नहीं उन्होंने एक बार फिर साफ कर दिया कि अमर सिंह पार्टी में बने रहेंगे.
अखिलेश को आगामी चुनावों में पार्टी का चेहरा बनाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा ‘अखिलेश के नाम पर यहां जितने लोग बैठे हैं उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन क्योंकि हमारी पार्टी लोकतांत्रिक है, इसीलिए चुनाव के बाद विधायक ही मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे. 2012 में भी चुनाव जीतने के बाद विधायक दल की बैठक में ही मुख्यमंत्री का फैसला हुआ था. इस बार भी ऐसा ही होगा.
मुलायम सिंह यादव ने जब मंगलवार को दोपहर ढाई बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई तो ऐसा माना जा रहा था तकरीबन एक माह से सपा प्रमुख के परिवार में पिछले काफी अरसे से चली आ रही वर्चस्व की लड़ाई का कोई हल निकल आएगा. लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहे और सपा मुखिया चाचा-भतीजे में सुलह का मंगलवार को भी कोई फार्मूला नहीं दे पाए.
प्रेस कांफ्रेंस से तो ऐसा ही लगा कि मुलायम सिंह अपने को असहाय महसूत कर रहे हैं और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को वह अमर सिंह और शिवपाल को लेकर मना नहीं पाए हैं.
मुलायम बोले पार्टी अध्यक्ष मैं हूं : मुलायम सिंह ने अपने चंद वाक्यों के संबोधन में केवल अपने राजनीतिक सफर की बात कही. इसका आशय साफ है कि वो यह बताना चाहते थे कि ये पार्टी उनकी बनाई हुई है और वो अभी भी पार्टी के अध्यक्ष हैं, पार्टी उनके पास है. उन्होंने यह भी कहा कि 2012 का जनादेश उन्हीं के नाम पर मिला था.
यह भी कहा : सवाल जवाब का सिलसिला शुरू हुआ तो मुलायम बोले की पार्टी एक है और परिवार एक है. कोई मतभेद नहीं हैं. कार्यकर्ता उनके साथ हैं. इसके बाद उन्होंने विवाद के हर सवाल को टालने की ही कोशिश की. उन्होंने कहा कि वो एक भी विवादित बात नहीं कहेंगे.
मुलायम भांप गए हैं खतरा : ऐसा लगता है मुलायम इस संकट को भांप चुके हैं कि पार्टी की बागडोर उनके हाथ से निकलती जा रही है. कम से कम मुलायम सिंह यादव की प्रेस कांफ्रेंस यही साबित करती है कि यह आयोजन किसी समझौते की घोषणा के लिए नहीं अपने वजूद को पुनस्र्थापित करने के लिए थी.
प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश नहीं आए
यूपी के सत्ताधारी परिवार की कलह का यह आलम है कि पिता सपा मुखिया मुलायम सिंह की प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नहीं आए. सिर्फ शिवपाल ही साथ आए. इसका मतलब सीधा है कि अखिलेश जो फैसला कर चुके हैं उससे पीछ डिगाने में मुलायम सफल नहीं हुए.
क्या-क्या बोले मुलायम
- गांव गांव जाकर मैंने समाजवादी पार्टी को मजबूत बनाया.
- समाजवादी सिद्धांतों के साथ काम करें नेता.
- हमारा परिवार एक है और पार्टी एक है. सारे कार्यकर्ता, सारे नेता एक हैं.
- राम गोपाल की बातों का अब कोई महत्व मैं नहीं समझता
- अमर सिंह को बीच में क्यों लाते हैं.
- अमर सिंह को पार्टी से नहीं निकाला जाएगा.
- साजिश करने वालों को आप खोजिए. पार्टी में कुछ लोग साजिश कर रहे हैं.
- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही हैं.
- बहुमत के बाद सीएम का चुनाव होगा.
सीएम करेंगे फैसला
- मंत्रियों को वापस लेने का फैसला सीएम पर छोड़ता हूं. शिवपाल ने न मंत्री पद मांगा और न ही मैंने उनसे कुछ इस बारे में कहा.
मैं सीएम बनना नहीं चाहता
- मेरा सीएम बनने का अब कोई विचार नहीं है.
- अखिलेश के नाम पर किसी को ऐतराज नहीं.
- हमारी पार्टी लोकतांत्रिक है. विधायक ही अपना नेता चुनेंगे.
मुलायम क्या नहीं बोले
- बार-बार पूछे जाने पर भी उन्होंने नहीं बताया कि शिवपाल और अन्य बर्खास्त मंत्रियों की सरकार में वापसी होगी या नहीं.
- मुलायम बार बार इस सवाल को टालते रहे और उन्होंने कहा कि इसपर फैसला मुख्यमंत्री ही लेंग.
- रामगोपाल की वापसी पर भी मुलायम सवाल को टाल गए.
अखिलेश प्रेस कांफ्रेंस में नहीं आए उसका भी जवाब नहीं दिया मुलायम ने.
मैं नेताजी के साथ, जो कहेंगे करूंगा : शिवपाल
सुबह शिवपाल ने मुलायम से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा था, ‘पार्टी और मुलायम परिवार में सब ठीक ठाक है. मैं नेता जी के साथ हूं. वह जो भी निर्देश देंगे, हम उसका पालन करेंगे.’
पिता को बेटे की लोकप्रियता से जलन : राम गोपाल यादव
इस बीच सपा से छह साल के लिए निष्कासित रामगोपाल यादव ने एक बार फिर अपने भाई मुलायम सिंह यादव पर हमला बोला है. उन्होंने कहा, ‘मुलायम सिंह यादव को अखिलेश की लोकप्रियता से जलन हो रही है. हर बाप चाहता है कि उसका बेटा आगे बढ़े लेकिन यहां ऐसा नहीं हो रहा. रामगोपाल ने यह भी साफ कर दिया कि वह राज्यसभा से इस्तीफा नहीं देंगे.
प्रेस कांफ्रेंस के समय बाहर होती रही नारेबाजी : इस बीच सपा मुख्यालय के बाहर मंगलवा को भी तनाव का माहौल रहा और शिवपाल तथा अखिलेश के समर्थकों के बीच नारेबाजी होती रही. तनाव को देखते हुए पार्टी मुख्यालय पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और वहां जाने वाले विक्र मादित्य मार्ग पर अवरोधक लगा दिये गये हैं.
5 नवंम्बर के सम्मेलन पर चर्चा : शिवपाल सुबह पार्टी मुख्यालय पहुंचे और पांच नवम्बर को होने वाले पार्टी के रजत जयंती समारोह के सिलसिले में बर्खास्त मंत्री ओम प्रकाश सिंह तथा कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति से बातचीत की.
गलती सुधारें शिवपाल-अखिलेश
सपा में मचे पारिवारिक घमासान के बीच मुलायम सिंह यादव ने कलह को खत्म करने के लिए नई लाइन ली है. उन्होंने खुद मुख्तार बनने के बजाय कार्यकर्ताओं में यह संदेश भेजने की कोशिश की है कि अखिलेश यादव मजबूत मुख्यमंत्री हैं और शिवपाल यादव प्रदेश सपा के मुखिया हैं.
मुलायम ने अपने भाई और बेटे को उनकी भूमिका में और ताकत देने के लिए यह दाव चला है. प्रेस कांफ्रेंस में सपा सुप्रीमो का यह कहना कि बर्खास्त मंत्रियों की वापसी का फैसला मुख्यमंत्री का काम है.
यह स्पष्ट संकेत है कि चूंकि बर्खास्तगी का फैसला मुख्यमंत्री का था इसीलिए चारों मंत्रियों की वापसी का फैसला भी मुख्यमंत्री का ही होगा. इसी तरह प्रदेश सपा अध्यक्ष शिवपाल ने जिन अखिलेश समर्थकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है, उनकी वापसी का रास्ता भी शिवपाल ही निकालेंगे.
सब कुछ ठीक ठाक रहा तो जल्द ही पार्टी से निकाले गए अखिलेश समर्थकों की वापसी भी होगी और बर्खास्त मंत्री सरकार में कामकाज संभालेंगे.
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