सपा विवाद: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव समेत चार मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर किया

Last Updated 23 Oct 2016 11:50:23 AM IST

उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में जारी सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया.


अखिलेश ने शिवपाल को मंत्रिमंडल से हटाया

उत्तर प्रदेश के समाजवादी परिवार में चाचा-भतीजे के बीच जारी वर्चस्व की लड़ाई में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए आज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने चाचा वरिष्ठ काबीना मंत्री शिवपाल यादव को बर्खास्त कर दिया.

सपा के सूत्रों ने बताया कि विधानमण्डल दल की बैठक में मुख्यमंत्री ने शिवपाल को मंत्रिमण्डल से बर्खास्त करने का ऐलान किया है. इसके अलावा शिवपाल तथा सपा के राज्यसभा सदस्य अमर सिंह के करीबी कुछ और मंत्रियों को भी बर्खास्त किये जाने की अटकलें हैं.

मुख्यमंत्री ने शिवपाल और अपने बीच जारी जंग को नया रूप देते हुए यह कदम ऐसे वक्त उठाया है जब सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव सोमवार को सपा विधायकों, मंत्रियों और विधान परिषद सदस्यों के साथ महत्वपूर्ण बैठक करने जा रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक अखिलेश ने बैठक में कहा कि कुछ बाहरी लोग उनके तथा उनके पिता सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के बीच दूरियां बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने सपा के राज्यसभा सदस्य अमर सिंह का नाम लेते हुए कहा कि जो भी मंत्री या नेता उनका साथ दे रहे हैं, उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा.

पिछले करीब एक महीने के दौरान अखिलेश और शिवपाल के बीच जंग रह-रहकर तेज होती रही है. इस दौरान पार्टी नेतृत्व के स्तर पर ऐसे कई फैसले लिये गये जो अखिलेश को अखरे.

इनमें अखिलेश के करीबी चार विधानपरिषद सदस्यों तथा कई अन्य युवा नेताओं की बर्खास्तगी, भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किये गये मंत्री गायत्री प्रजापति की सपा मुखिया के हस्तक्षेप के बाद मंत्रिमण्डल में वापसी और विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का चुनाव विधायक दल द्वारा किये जाने का मुलायम का बयान शामिल हैं.

ताजा मामले में सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव को चिट्ठी लिखकर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विधानपरिषद सदस्य उदयवीर सिंह को कल सपा से निकाल दिया गया. सिंह को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है.

उदयवीर सिंह ने अपने निष्कासन के बारे में कहा था कि नेताजी :मुलायम: पार्टी के संरक्षक है। मुझे पूरा भरोसा है कि वह सबके साथ न्याय करेंगे, मुख्यमंत्री (अखिलेश यादव) के साथ भी न्याय करेंगे.

अफसोस इस बात का है कि नेताजी को मंचों से गाली देने वाले लोग इस वक्त पार्टी में मौजूद हैं और पत्र लिखने वाले शुभचिंतकों को पार्टी से निकाला जा रहा है. नेताजी जब भी कभी गम्भीरता से विचार करेंगे तो जरूर सोचेंगे.

शिवपाल और अखिलेश के बीच तल्खी का दौर गत जून में तब शुरू हुआ था जब माफिया-राजनेता मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी की अगुवाई वाले कौमी एकता दल (कौएद) का शिवपाल की पहल पर सपा में विलय किया गया था और इस पर अखिलेश नाराज थे.

कुछ दिन बाद इस विलय के रद्द होने से यह कड़वाहट और बढ़ गयी. शिवपाल ने कुछ दिन बाद प्रदेश में जमीनों पर अवैध कब्जों को लेकर इस्तीफे की पेशकश की थी.

गत 15 अगस्त को सपा मुखिया ने मैदान में उतरते हुए शिवपाल की हिमायत की थी और कहा था कि अगर शिवपाल पार्टी से चले गये तो सपा टूट जाएगी.

अखिलेश ने गत 12 सितम्बर को भ्रष्टाचार के आरोप में तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति तथा एक अन्य मंत्री राजकिशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया था. ये दोनों ही सपा मुखिया के करीबी माने जाते हैं.

मुलायम के कहने पर बाद में प्रजापति की मंत्रिमण्डल में वापसी हो गयी थी. इसे मुख्यमंत्री अखिलेश के लिये करारा झटका माना गया था.

मुख्यमंत्री ने 13 सितम्बर को शिवपाल के करीबी माने जाने वाले मुख्य सचिव दीपक सिंघल को पद से हटाकर अपने पसंदीदा अधिकारी राहुल भटनागर को यह पद दे दिया था.

उसके फौरन बाद मुलायम ने अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर वरिष्ठ काबीना मंत्री शिवपाल को यह जिम्मेदारी दे दी थी. इससे नाराज मुख्यमंत्री ने शिवपाल से उनके महत्वपूर्ण विभाग छीन लिये थे.

अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद पर वापस लेने से सपा मुखिया के इनकार से पार्टी के युवा नेताओं में नाराजगी की लहर दौड़ गयी और वे पार्टी के प्रदेश मुख्यालय के सामने सड़क पर उतर आये, जिसके बाद तीन विधान परिषद सदस्यों समेत कई युवा नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निकाल दिया गया.

हाल में मुलायम द्वारा कौएद के सपा में विलय को बहाल किये जाने सम्बन्धी शिवपाल की घोषणा को अखिलेश की एक और पराजय के तौर पर देखा गया.

पार्टी में अखिलेश के हिमायती गुट का आरोप है कि यह सब मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने और सपा में उनकी स्थिति कमजोर करने के लिये किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री के पैरोकार समझे जाने वाले पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव ने पिछले दिनों सपा मुखिया को लिखे पत्र में कहा था कि वह शिवपाल को निष्कासित युवा नेताओं को पार्टी में वापस लेने को कहें और विधानसभा चुनाव के टिकटों के बंटवारे में मुख्यमंत्री को भी अधिकार दें.
 

आईएएनएस\ समयलाइव डेस्क


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